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Ganga Saptami के उपाय: गंगा अवतरण पर करें ये उपचार, कई जन्मों के पाप हो जाएंगे नाश

मां गंगा की आराधना से सारे दुख हो जाएंगे दूर

शास्त्र और पुराणों के अनुसार माधव मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को ही धरती पर मां गंगा का अवतरण हुआ था। इसलिए इस दिवस को गंगा सप्तमी कहा जाता है। गंगा सप्तमी के दिन  गंगा स्नानकरने मात्र से व्यक्ति के अनेक पाप मिट जाते हैं। गंगा को मोक्षदायिनी है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान व गंगा पूजन करने से अतीत के भी सारे पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को तमाम दुखों से मुक्ति मिलती है। आईए जानते हैं कि गंगा सप्तमी के दिन कौन से उपचारों से क्या लाभ होता हैः

रोक-शोक से मुक्ति और प्रचुर धन प्राप्ति के साथ संसार से निर्लिप्तता के लिए

यदि किसी भी कारण आपकी आर्थिक तरक्की रुक गई है तो इस दिन आप गंगाजल को चांदी के पात्र में भरें और उसे अपने घर की उत्तर पूर्व दिशा में रख दें। इससे आपकी समस्या जल्द हल हो जाएगी। गंगाजल को हमेशा अपने पूजा स्थल और किचन के उत्तर-पूर्व में रखें,धीरे-धीरे आपको आर्थिक लाभ के साथ तरक्की और सफलता मिलने लगेगी। जिस घर में गंगाजल रखा होता है वहां सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और उस घर में स्थिर लक्ष्मी का वास होता है। हर दिन गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु। का उच्चारण करते स्नान करें और पूजा क्षमा याचना के बाद

वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं ।

त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां। का जप करें। 

जन्म-जन्मांतर के पाप से मुक्ति के लिए

कहा जाता है कि गंगा सप्तमी का दिन इतना पवित्र है कि इस दिन अगर आप गंगा स्नान करें तो आपके जन्म-जन्मांतर के पाप मिट जाते हैं और घर में धन धान्य से जुड़ी समस्याओं का अंत होता है। अगर गंगा जल की शरीर पर छींटें भी पड़ जाएं, तो भी तमाम पाप कट जाते हैं। वहीं गंगा स्नान से व्यक्ति को निरोगी काया प्राप्त होती है। अगर आप गंगा घाट न कर पाएं तो गंगा नदी का आवाह्न करके घर में ही किसी पात्र में सामान्य जल में गंगा जल मिलाएं और यह मंत्र गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोकं स गच्छति का उच्चारण करते हुए स्नान करें तो जन्म-जन्मातर के पाप दूर हो जाते हैं।

कुपित ग्रहों की शांति के लिए

गंगा सप्तमी से शुरू करके यदि आप शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करेंगे तो भोलेनाथ जल्द ही प्रसन्न होंगे और कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत होगी और जीवन से सभी विकार नष्ट हो जाएंगे। इसी प्रकार हर शनिवार एक लोटे में साफ जल भरें और उसमें थोड़ा सा गंगाजल डाल लें ये जल पीपल को चढ़ाएं और ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम: का उच्चारण करें। ऐसा करने से सभी गृहों की शांति होती हैं और अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है।

अक्षय पुण्य प्राप्त करने के लिए

शास्त्रों में दान पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है। गंगा सप्तमी का दिन इसके लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन अपनी सामर्थ्य अनुसार गरीबों और जरूरतमंदों को दान दें। और मां गंगा की इस मंत्र से उपासना करें और यथा शक्त दान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।

गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं, त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां। का उच्चारण करें,इससे आपको शुभ कार्यों का अक्षय पुण्य फल मिलेगा। 

सौभाग्य प्राप्ति के लिए

 मां गंगा के वेग को साधने के लिए शिव ने उन्हें अपनी जटाओंं में धारण किया है और एक जटा खोलकर उन्हें धरती पर छोड़ा। इसलिए गंगा सप्तमी के दिन शिव का भी पूजन करना चाहिए। इस दिन एक लोटे में गंगाजल भरकर उसमें पांच बेलपत्र डालकर शिवलिंग का जलाभिषेक करें। गंगा जी के नीचे दिए मंत्र से साधना करने से शिव जी, माता पार्वती और गंगा मैया की कृपा प्राप्त होती है और सौभाग्य वृद्धि होती है।

देवि सुरेश्वरि भगवति गङ्गे त्रिभुवनतारिणि तरलतरङ्गे शङ्करमौलिविहारिणि विमले मम मतिरास्तां तव पदकमले।

भागीरथि सुखदायिनि मातस्तव जलमहिमा निगमे ख्यातः नाहं जाने तव महिमानं पाहि कृपामयि मामज्ञानम्।।

स्वास्थ्य के लिए

गंगाजल विज्ञान के लिए भी चमत्कार है क्योंकि यह सालों तक बोतल में रहने के बाद भी खराब नहीं होता। ग्रन्थों में बताया गया है की गंगाजल बुद्धि बढ़ाने वाला और पाचक तंत्र को मजबूत करने की शक्ति रखता है। ऐसा माना जाता है जो व्यक्ति रोज गंगाजल पीता हैऔर नीचे दिए मंत्र का जप करता है कको वह निरोगी रहता है और दीर्घायु को प्राप्त करता है।

रोगं शोकं तापं पापं हर मे भगवति कुमतिकलापम् त्रिभुवनसारे वसुधाहारे त्वमसि गतिर्मम खलु संसारे।

अलकानन्दे परमानन्दे कुरु करुणामयि कातरवन्द्ये तव तटनिकटे यस्य निवासः खलु वैकुण्ठे तस्य निवासः।।