Maha Shivratri 2022: महाशिवरात्रि आज, शिव योग का बन रहा अद्भुत संयोग, देखें नियम और पूजा विधि

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आज महाशिवरात्रि है। महाशिवरात्रि शिवजी का महापर्व शिव विवाह के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अराधना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भोलेनाथ की सच्चे मन से पूजा उपासना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव परिवार की पूजा होती है। भोलेनाथ को इस दिन चंदन, अक्षत, बेलपत्र, धतूरा और आंकड़े के फूल अर्पित करने चाहिए। शिव जी पर गाय का कच्चा दूध अर्पित करना चाहिए। इन सब चीजों को करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।</p>
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<strong>शुभ मुहूर्त</strong></p>
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महा शिवरात्रि 1मार्च मंगलवार को प्रातः 3:16बजे से प्रारंभ होगी। शिवरात्रि की तिथि दूसरे दिन यानि चतुर्दशी तिथि बुधवार 2मार्च को प्रातः 10बजे समाप्त होगी।</p>
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<strong>महाशिवरात्रि पर बन रहा ये शुभ योग</strong></p>
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महाशिवरात्रि पर सुबह 11बजकर 18मिनट कर परिघ योग रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में इस योग के दौरान शुभ कार्यों की मनाही होती है। इसके बाद शिव योग लग जाएगा। शिव के दौरान किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होने की मान्यता है। मान्यता है कि शिव योग में भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।</p>
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<strong>महाशिवरात्रि व्रत के नियम</strong></p>
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शिवरात्रि के दिन भक्तों को सन्ध्याकाल स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करनी चाहिए या मंदिर जाना चाहिए। शिव भगवान की पूजा रात्रि के समय करना चाहिए एवं अगले दिन स्नानादि के पश्चात् अपना व्रत का पारण करना चाहिए। व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए भक्तों को सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए। लेकिन, एक अन्य धारणा के अनुसार, व्रत के समापन का सही समय चतुर्दशी तिथि के पश्चात् का बताया गया है।</p>
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दोनों ही अवधारणा परस्पर विरोधी हैं। लेकिन, ऐसा माना जाता है की, शिव पूजा और पारण (व्रत का समापन), दोनों ही चतुर्दशी तिथि अस्त होने से पहले करना चाहिए।</p>
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<strong>महाशिवरात्रि व्रत की पूजा विधि</strong></p>
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पूजा के लिए पूजा स्थल पर शिवलिंग स्थापित करें। आप आटे या मिट्टी का उपयोग करके एक अस्थायी शिव लिंगम भी बना सकते हैं। शिव लिंग को आकार देने के बाद दूध, गुलाब जल, चंदन का लेप, दही, शहद, घी, चीनी और जल चढ़ाकर अनुष्ठान करें। शिव लिंग पर बिल्वपत्र की माला चढ़ाएं और फिर चंदन या कुमकुम लगाएं और भगवान शिव को धूप-दीपा दिखाएं। भक्त फूल भी चढ़ा सकते हैं। पूजा के बाद 'ध्यान' करें और भगवान शिव के मंत्रों का पाठ करें। महाशिवरात्रि पर अगर चार पहर पूजन करते हैं तो पहले पहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घी और चौथे में शहद से पूजन करें। हर पहर में जल का प्रयोग जरूर करना चाहिए। महाशिवरात्रि पर तमाम समस्याओं से मुक्ति पाने के प्रयोग भी होते हैं। इस दिन सूर्य को अर्घ्य दें और शिवजी को जल अर्पित करें। इसके बाद पंचोपचार पूजन करके शिव जी के मंत्रों का जाप करें। रात्रि में शिव मंत्रों के अलावा रुद्राष्टक या शिव स्तुति का पाठ भी कर सकते हैं।</p>

आईएन ब्यूरो

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