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Monday Motivation: तेज निगाह, टारगेट फिक्स और एक बार में ही सक्सेस- कैसे मिलती है – पढ़ें यह स्टोरी

Monday Motivation

आज मंडे मोटिवेशन के तहत हम आपको ऐसी कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसको सुनकर आपकी आंखें खुली कि खुली रह जाएंगी। आप अपने घर में माता-पिता, ऑफिस में सीनियर और ट्रेनिंग के दौरान अपने इंस्ट्रक्टर को लेकर आपके मन में जो भी दुर्भावना मन में बैठ गई हो गई वो दूर हो जाएगी। इस कहानी को पढ़कर आपको लगेगा, आपके चारों ओर जो लोग हैं वो आपके दुश्मन नहीं बल्कि आपके बेहतर भविष्य, आत्मनिर्भरता के लिए आपको ट्रेड कर रहे हैं।

तो चलिए सुनाते हैं बाज पक्षी की कहानी। बाज के बारे में तो आपने सुना ही होगा कि उसकी निगाह बहुत तेज होती है। कई किलोमीटर ऊपर अपने शिकार को नीचे देख लेता है। उसके पंजे इतने मजबूत और वार इतना घातक होता है कि एक जवान बाज शेर के बच्चों को भी उड़ाकर ले जाता है। बाज अगर हमला करता है तो उसका शिकार बचता नहीं है। मतलब उसकी ट्रेनिंग इस तरह की होती है कि लक्ष्य को निर्धारण और उसको एक ही प्रयास में हासिल करना सिखाया जाता है। आपको मालूम है, यह सब उसे कौन सिखाता है- बाज को जन्म देने वाली मां।

अंडों से बाहर आने के बाद बाज के चूजे आंख भी नहीं खोल पाते हैं, लेकिन मां घोंसले से बच्चों का चोंच में उठाती है और ऊपर आसमान में हजारों मीटर ऊपर ले जाकर छोड़ देती है। बच्चा तो बच्चा है वो उड़ना जानता ही नहीं है। वो तेजी से नीचे गिरने लगता है। बाज की मां उसे देखती रहती है। जमीन पर गिरने से पहले उसे फिर चोंच में पकड़ कर फिर ऊपर आसमान में ले जाती है और फिर छोड़ देती। बाज की मां तब तक ऐसा करती है जब तक वो खुद उड़ना नहीं सीख जाता। इतनी कठिन होता है बाज का बचपन। सोचो अगर बाज की मां इतनी निष्ठुरता से उड़ना नहीं सिखाती, उसे शिकार करना नहीं सिखाती तो वो पक्षियों में सबसे तेज और घातक कैसे बनता। एक बात और कि पक्षियों में बाज का घोंसला इतना मजबूत और भारी होता है कि पेड़ की डालियां टूट सकती हैं लेकिन बाज का घोंसला नहीं टूटता।

बाज की औसत उम्र 70 साल होती है। 40 साल के आसपास, उसके पंख भारी हो जाते हैं। चोंच मोटी और और मौथर हो जाती है। वो न उड़ पाता है न शिकार कर पाता है। बाज इस उम्र में किसी सुरक्षित ऊंचे स्थान पर अपना डेरा डालता है। पहले वो अपनी चोंच को तोड़ता है। उसे नुकीली बनाता है। फिर एक-एक कर अपने भारी पंखों को अपनी ही चोंच से नोच डालता है। अपनी ही चोंच से अपने पंखों को नोचना कितना दुख देता होगा। नए पंख आने तक कितनी पीड़ा होती होगी, आपको अहसास है कि जब हाथ या पैर का कच्चा नाखून कट जाता है तो कितना दर्द होता है, या जब कोई आपके बाल अचानक उखाड़ दे तो कितनी तेज पीड़ा होती है! मगर बाज अपने पंखों को अपनी चोंच से पंखों से नोच डालता है। उस पीड़ा को तब तक सहन करता है जब तक नए फ्रेश पंख नहीं आ जाते। और जब चोंच पहले की तरह पैनी और पंख नए हो जाते हैं वो फिर आसमान की ऊंचाईयां छूने और शिकार करने निकल पड़ता है।

यह कहानी हमें मोटिवेट करती है कि अगर हमारा ट्रेनर, हमारे माता-पिता या हमारा सीनियर कुछ सिखाने के लिए सख्ती करता है तो वो हमारा दुश्मन नहीं वो हमें हमारा लक्ष्य निर्धारण करना सिखा रहा है। हमें वो स्किल सिखा रहा है जिससे हम एक बार में ही बाज की तरह कठिन से कठिन काम को कर सकें। और, जब हम बोर हो जाएं या हम किसी बुराई या दोष का जाने-अनजाने, भाग्य से या दुर्भाग्य से ग्रसित हो जाएं तो दोष को खुद समाप्त कर मुख्य धारा में फिर से उतर आएं।  

तो है न यह मोटिवेशनल स्टोरी। बाज का जीवन हमें सिखाता है कि मन-मस्तिष्क और शरीर से बलशाली बनो। मजबूत इरादों वाला बनो। हां, आपको मालूम है न कि दुनिया की सबसे खतरनाक और अपने लक्ष्यों को सौ फीसदी लक्ष्य हासिल करने वाली कौन सी एजेंसी है? इस एजेंसी पर हॉलीवुड में तमाम फिल्में बन चुकी हैं। अब तो आपको याद आ ही गया होगा, वो एजेंसी है अमेरिका की सीआईए, और पता है उसका सिंबल है बाज।