त्रेता युग में भगवान विष्णु, राम और मां लक्ष्मी, सीता के रूप में धरती पर अवतरित हुई थीं। आज भी रामायण कालीन ऐसे स्थान हैं, जहां राम ने अपने दिन गुजारे थे। चलिए आपको बताते है इन स्थानों के बारे में-
अयोध्या- भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। रामायण काल में अयोध्या कौशल साम्राज्य की राजधानी थी, राम का जन्म रामकोट, अयोध्या के दक्षिण भाग में हुआ था। वर्तमान समय में अयोध्या, उत्तर प्रदेश में है। जो आज प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां आज भी उनके जन्मर काल के कई प्रमाण मिलते हैं। यहां अब राम जन्मि भूमि विवाद चल रहा है। यहां हजारों भक्त हर रोज भगवान के दर्शन करने आते हैं।
जनकपुर- जनकपुर को माता सीता का जन्म स्थान कहा जाता है और यहीं पर भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। जनकपुर शहर में आज भी उस विवाह मंडप और विवाह स्थल के दर्शन कर सकते हैं, जहां माता सीता और रामजी का विवाह हुआ था। जनकपुर के आस-पास के गांवों के लोग विवाह के अवसर पर यहां से सिंदूर लेकर आते हैं, जिनसे दुल्हन की मांग भरी जाती है। मान्यता है कि इससे सुहाग की उम्र लंबी होती है। वर्तमान में यह भारत नेपाल बॉर्डर से करीब 20 किलोमीटर आगे नेपाल के काठमाण्डुह के दक्षिण पूर्व में है।
चित्रकूट- रामायण के अनुसार, भगवान राम ने अपने चौदह साल के वनवास में लगभग 11 साल चित्रकूट में ही बिताए थे। ये वही स्थारन है जहां वन के निकल चुके श्री राम से मिलने भरत जी आये थे। तब उन्होंलने राम को राजा दशरथ के देहांत की सूचना दी थी और उनसे घर लौटने का अनुरोध किया था। चित्रकूट में आज भी भगवान राम और सीता के कई पद चिन्ह मौजूद हैं। वर्तमान में यह जगह आज मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच में स्थित है। यहां आज के समय में भगवान राम के कई मंदिर हैं।
किष्किंधा- वाल्मीकि रामायण में किष्किंधा को वानर राज बाली का तथा उसके पश्चात् सुग्रीव का राज्य बताया गया है। भगवान रामचन्द्र जी ने बालि को मारकर सुग्रीव का अभिषेक लक्ष्मण द्वारा इसी नगरी में करवाया था। किशकिंदा से एक मील पश्चिम में पंपासर नामक ताल है, जिसके तट पर राम और लक्ष्मण कुछ समय के लिए ठहरे थे। वर्तमान में यह कर्नाटक के हम्पी शहर के आस-पास के इलाके में माना गया है। युनेस्को ने इस जगह को विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।
दण्डिकारण्यश– यहीं पर भगवान राम ने रावण की बहन शूर्पनखा के प्रेम प्रस्तााव को ठुकराया था और लक्ष्म्ण ने उसके नाक कान काटे थे। इस घटना के बाद ही राम और रावण युद्ध की नींव पड़ी थी। ओडिसा, आंध्रप्रदेश और छत्तीासगढ़ के बीच फैले विशाल हरे भरे इस क्षेत्र में आज भी राम के निवास के चिन्ह मिलते हैं और यहां पर आ कर असीम शांति और ईश्वर की उपस्थिति का अहसास होता है।