Sakat Chauth 2022: सकट चौथ पर बन रहा ये खास योग, इस तरह करें पूजा, संतान सुख की होगी प्राप्ति, सुनें कथा

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आज सकट चौथ का व्रत है। सकट चौथ का व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन रखा जाता है। सकट चौथ को संकष्टी चतुर्थी, तिलकुट, माघ चतुर्थी के नामों से भी जाना जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा की जाती है। सकट चौथ पर निर्जला व्रत रखते हुए गणेश पूजा करते हैं और रात के समय में चंद्रमा को जल अर्पित कर पारण करते हैं। सकट चौथ के अवसर पर आप गणेश जी की कृपा से संतान, सुख, समृद्धि और सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं और माता लक्ष्मी की कृपा से अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।</p>
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<strong>सकट चौथ की पूजा विधि</strong></p>
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सकट चौथ के दिन प्रात:काल में गंगाजल बाल्टी में डालकर स्नान करें। उसके बाद पीले या लाल वस्त्र धारण करें। पूजा स्थान की सफाई कर लें। हाथ में जल, अक्षत् और फूल लेकर सकट चौथ व्रत एवं गणेश जी की पूजा का संकल्प लें। इस दिन सौभाग्य योग सुबह से लेकर दोपहर 03 बजकर 06 मिनट तक है। सुबह 09:43 बजे तक मघा नक्षत्र है, जो मांगलिक कार्यों के लिए अच्छा नहीं है। आप सुबह 09:43 बजे के बाद सकट चौथ की पूजा करें। एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें। फिर गणेश जी का गंगाजल से अभिषेक करें। फिर चंदन या रोली लगाएं।</p>
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अब अक्षत्, लाल पुष्प, दूर्वा, फल, जनेऊ, सुपारी, पान का पत्ता, हल्दी, दही, शहद, मोदक, वस्त्र, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें। गणेश जी को तुलसी का पत्ता न अर्पित करें। सकट चौथ पर गणेश जी को तिल से बने खाद्य पदार्थों का भोग लगाएं। इसे तिल चौथ या तिलकुट चौथ भी इस वजह से कहते हैं। अब गणेश चालीसा का पाठ करें, फिर सकट चौथ व्रत कथा का श्रवण करें। इसके बाद चाहें तो गणेश मंत्र का जाप कर सकते हैं। पूजा के अंत में कपूर या गाय के घी वाले दीपक से गणेश जी की आरती करें। इसके बाद गरीब या किसी ब्राह्मण को दान करें। दिनभर निर्जला व्रत रहते हुए भगवत भजन करें।</p>
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<strong>सकट चौथ पर शुभ योग</strong></p>
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इस वर्ष सकट चौथ पर दो तरह का शुभ योग बन रहा है जिसमें भगवान गणेश की पूजा करने पर बहुत ही शुभ फल की प्राप्ति होगी। सकट चौथ पर चंद्रमा पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र और सिद्धि योग में मनाया जाएगा। इसके अलावा ग्रहों के शुभ योग से सौभाग्य नाम का शुभ योग भी बना है। जिस कारण से सकट चौथ का महत्व बढ़ गया है। सकट चौथ शुक्रवार के दिन और शुक्र के नक्षत्र पूर्वाफाल्गुनी के योग से इस दिन माताएं अपने संतान के लिए व्रत रखते हुए उनके सुख की कामना फलदायी होगी।</p>
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<strong>सकट चौथ पर करें ये उपाय</strong></p>
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सकट चौथ के दिन पूजा घर में तांबे के लोटे में गंगा जल भरकर और एक सुपारी रख दें। ऐसा करने से घर में सकारात्मकता आती है।</p>
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सकट चौथ के दिन गणेश जी की पूजा करते समय लाल कपड़े में श्रीयंत्र और उसके बीच में सुपारी रखें। इसके बाद गणेश जी के साथ ही इसकी पूजा करें। इसके बाद इसे शाम के समय तिजोरी में रख दें। ऐसा करने से घर में धन-दौलत में वृद्धि होती है।</p>
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किसी विशेष कार्य में सफलता पाने के लिए सकट चौथ के दिन गणेश जी के सामने दो सुपारी और दो इलायची रखें। इसके बाद ही गणेश जी का पूजन करें। ऐसा करने से सफलता प्राप्त होगी।</p>
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सकट चौथ के दिन गणपति बप्पा का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन गणेश चालीसा का पाठ और आरती करें। गणेश चालीसा के पाठ से ही गणेश जी प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। </p>
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गणेश जी कृपा पाने के लिए इस दिन गणपति को मोदक का भोग लगाएं। और कम से कम 21 गांठ दूर्वा अर्पित करें। ऐसा करने से किसी भी कार्य में सफलता हासिल होगी। और गणेश जी प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे।</p>
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किसी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए गणेश जी के मंत्रों का जाप करें। इससे आपको सफलता मिलेगी।</p>
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सकट चौथ के दिन पर दाईं सूंड वाले गणपति की पूजा करें, ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। कहते हैं कि दाईं सूंड के गणपति के पूजन में विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है। अतः ये कठिनाई से प्रसन्न होते हैं। इसलिए सकट चौथ के दिन इनकी पूजा करें।</p>
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<strong>सकट चौथ की कथा</strong></p>
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एक राज्य में एक कुम्हार रहता था। एक दिन वह मिट्टी के बर्तन पकाने के लिए आवा ( मिट्टी के बर्तन पकाने के लिए आग जलाना ) लगा रहा था। उसने आवा तो लगा दिया लेकिन उसमें मिट्टी के बर्तन पके नहीं। ये देखकर कुम्हार परेशान हो गया और वह राजा के पास गया और सारी बात बताई। राजा ने राज्य के राज पंडित को बुलाकर कुछ उपाय सुझाने को बोला, तब राज पंडित ने कहा कि, यदि हर दिन गांव के एक-एक घर से एक-एक बच्चे की बलि दी जाए तो रोज आवा पकेगा। राजा ने आज्ञा दी की पूरे नगर से हर दिन एक बच्चे की बलि दी जाए। कई दिनों तक ऐसा चलता रहा और फिर एक बुढ़िया के घर की बारी आई, लेकिन उसके बुढ़ापे का एकमात्र सहारा उसका अकेला बेटा अगर बलि चढ़ जाएगा तो बुढ़िया का क्या होगा, ये सोच-सोच वह परेशान हो गई। उसने सकट की सुपारी और दूब देकर बेटे से बोला- जा बेटा, सकट माता तुम्हारी रक्षा करेंगी और खुद सकट माता का स्मरण कर उनसे अपने बेटे की सलामती की कामना करने लगी। अगली सुबह कुम्हार ने देखा की आवा भी पक गया और बालक भी पूरी तरह से सुरक्षित है और फिर सकट माता की कृपा से नगर के अन्य बालक जिनकी बलि दी गई थी, वह सभी भी जी उठें, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार उसी दिन से सकट चौथ के दिन मां अपने बेटे की लंबी उम्र के लिए भगवान गणेश की पूजा और व्रत करती हैं।</p>

आईएन ब्यूरो

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