अगले 60 दिनों तक इन तीन राशियों पर कड़ी नजर रखेंगे शनि देव, बरतनी होगी सावधानी, बचाव के लिए करें ये अचूक उपाय

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शनि देव व्यक्ति के शुभ कर्म के आधार पर शुभ फल को देते हैं, वहीं पर व्यक्ति के बुरे कर्मों के प्रभाव के परिणाम स्वरुप दंड भी प्रदान करते हैं। इसी के कारण शनि देव को ग्रहों में न्यायाधीश की पदवी प्राप्त है। कर्म फल प्रदायक सूर्य पुत्र शनि देव कुम्भ राशि मे गोचर आज सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर हो गया है। यहां 28 अप्रैल से 4 जून तक कुम्भ राशि मे मार्गी गति से गोचर करते हुए अपना प्रभाव स्थापित करेंगे और 4 जून से 12 जुलाई तक वक्री गति से गोचर करते हुए कुम्भ राशि मे गोचर करेंगे। 13 जुलाई से मकर राशि मे वक्री प्रवेश करेंगे। इस प्रकार कुम्भ राशि मे शनि देव 76 दिनों तक के लिए गोचर करने जा रहे है।</p>
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<strong>कर्क-</strong> कर्क लग्न एवं राशि वालों के लिए शनि सप्तम एवं अष्टम के कारक ग्रह होकर अष्टम भाव कुम्भ राशि में स्वगृही गोचर करेंगे। अष्टमेश होकर स्वगृही होना सकारात्मक फल प्रदायक होता है। परन्तु सप्तम के कारक होकर अष्टम में जाने से अशुभफल प्रदायक हो जाते है।  जहाँ शनि देव पुराने रोगों का खत्म करेंगे वही रोजगार, दैनिक आय में अवरोध के साथ साथ पैर एवं पेट की समस्या भी उत्पन्न करेंगे। जीवन साथी के स्वास्थ्य को लेकर चिंता सहित प्रेम संबंधों में तनाव भी उत्पन्न करेंगे। उपाय के बारे में बात करें तो शनि की शांति व उपाय मूल कुण्डली के अनुसार करना अत्यावश्यक होगा।</p>
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<strong>सिंह- </strong>सिंह लग्न एवं राशि वालों के लिए शनि देव षष्ट एवं सप्तम भाव अर्थात रोग, ऋण, शत्रु एवं दाम्पत्य के कारक होकर सप्तम भाव में गोचर करने जा रहे हैं जहां से इनके दृष्टि भाग्य भाव लग्न भाव अर्थात शरीर भाव पर पड़ेगी साथ ही साथ चतुर्थ भाव पर भी इनकी दशम दृष्टि अपना प्रभाव स्थापित करेगी, ऐसी स्थिति में शनि का व्यापक प्रभाव सिंह लग्न अथवा सिंह राशि वालों पर पड़ेगा शनि देव के भाग्य भाव पर दृष्टि पड़ने के कारण भाग्य में अवरोध, पिता को कष्ट, पिता के स्वास्थ्य को लेकर के चिंता के साथ-साथ कार्यों में अवरोध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। उपाय की बात करें तो शनिदेव की पूजा अर्चना के साथ साथ श्री हनुमान जी महाराज की पूजा अर्चना किया जाना शुभ फल प्रदायके होगा।</p>
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<strong>कन्या- </strong>कन्या लग्न या कन्या राशि वालों के लिए शनि देव पंचम भाव अर्थात विद्या अध्ययन, संतान व बौद्धिकता के कारक होते हैं साथ ही साथ रोग, कर्ज और शत्रु के कारक ग्रह भी होते हैं। पंचमेश होने के कारण शुभ फल प्रदायक होते हैं, तो छठे के कारक होने के कारण अवरोध भी उत्पन्न करते हैं ऐसी स्थिति में सम परिणाम प्रदान करते हैं यहां पर इनका गोचरीय परिवर्तन कुंभ राशि छठे भाव में होने जा रहा है जहां पर विद्यमान रह कर रोग,कर्ज एवं शत्रुओं से मुक्ति प्रदान करने के लिए मार्ग में सुगमता प्रदान करेंगे तो अपने दृष्टियों के कारण तनाव भी उत्पन्न करेंगे। उपाय की बात करें तो शनिवार के दिन काला तिल गुड़ मिलाकर के गोधूल के समय चीजों को खिलाएं और गरीबों की मदद अवश्य करें।</p>

आईएन ब्यूरो

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