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नक्सल प्रभावित क्षेत्र का यह गांव दूसरों के लिए नज़ीर

एक ऐसा गांव,जो दूसरों के लिए है नज़ीर

नक्सलियों की गोद में बसा छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गांव, जो पूरे प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के लिए भी एक मिसाल है। इलाक़े के लोगों का कहना है कि इस गांव में जन्म लेना क़िस्मत की बात है। इस गांव में समझ बूझ ऐसी कि इसे वरदान कहें या फिर चमत्कार, लेकिन वास्तविकता यह है कि इस गांव के प्रत्येक परिवार में कोई ना कोई सरकारी नौकरी में है।

छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले के सिहावा अंचल में बसा हुआ भुरसीडोंगरी गांव घोर नक्सल प्रभावित इलाक़ा माना जाता है। लेकिन, गांव की यह ख़ासियत पूरे देश में इसे सबसे जुदा बना रही है। दरअसल ज़िले के नगरी सिहावा अंचल आदिवासी बहुल क्षेत्र है, जहां आज भी सबसे ज़्यादा अशिक्षा और ग़रीबी पांव पसारे हुए हैं। इस इलाक़े के ज़्यादातर लोग देहाड़ी-मज़दूरी कर अपना और अपने परिवार का भरन पोषण करते हैं। ऐसे में इसी क्षेत्र का भुरसीडोंगरी गांव न सिर्फ़ इस इलाक़े, बल्कि देश के अन्य हिस्सों के लिए भी एक मिसाल बन गया है। अभाव में कैसे किसी क्षेत्र का विकास संभव है, यह प्रेरणा इस गांव से बख़ूबी लिया जा सकता है।

अति पिछड़ा इलाक़ा, दूर-दूर तक उम्मीद की कोई रौशनी नहीं,लेकिन इस गांव में रहने वालों ने कभी शिक्षा से नाता नही तोड़ा। कहा जाता है कि जहां ज्ञान की रौशनी होती है,वहां अंधेरा फटकता नहीं और उसकी रौशनी की लौ बाक़ी अंधेर इलाक़ों को भी रौशनी की उम्मीद दिखाती है।

गांव में कुल 425 परिवार हैं, और हर परिवार से एक या दो लोग या तो सरकारी ऑफ़िसर हैं या फिर सरकारी कर्मचारी। इस गांव में अगर प्राचार्य, हेडमास्टर या फिर शिक्षक की बात करें, तो उनकी संख्या 297 हैं, जबकि कुल 106 लोग पुलिस विभाग में अपनी सेवायें दे रहे हैं। गांव के 50 ऐसे लोग हैं, जो प्रदेश में शीर्ष पदों पर कार्यरत हैं।

बात इन उपलब्धियों पर आकर ही ख़त्म नहीं होती, इस गांव में ऐसे भी कई लोग मिल जायेंगे, जो उच्च शिक्षा प्राप्त किए हुए हैं,लेकिन नौकरी नहीं करते। गांव में रह रहे ऐसे लोग गांव में ही रह कर उच्च गुणवत्ता वाली खेती करते हैं, और गांव को समृद्ध बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं।
कुल मिलाकर इस गांव की समृद्धि के पीछे जो असली ताक़त है,वह शिक्षा ही है। इस गांव का हर व्यक्ति शिक्षित है,और दूसरे को भी शिक्षित करने की मुहिम में लगे हुए है। लिहाज़ा इस गांव से दूसरे गांव को भी सीख लेनी चाहिए, जिसने शिक्षा का अलख जगा कर पूरे देश के सामने एक नयी मिसाल पेश की है।