शनिदेव की राशि में इस ग्रह का गोचर, जानें भारत के नक्षत्र पर कैसा डालेगा प्रभाव? किन राशियों को होगा धनलाभ

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शुक्र ग्रह ने शनि देव की राशि मकर से शनि देव की दूसरी राशि कुम्भ में चैत्र कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 31 मार्च 2022 दिन गुरुवार की सुबह 9:50 बजे से प्रवेश कर लिया है। यहां वो 28 अप्रैल 2022 दिन की सुबह 7:30 बजे तक रहेंगे और फिर शुक्र कुम्भ राशि में चले जाएंगे। इसका प्रभाव हमारे देश भारत पर पड़ेगा। स्वतंत्र भारत की कुण्डली वृष लग्न एवं कर्क राशि की है। लग्नेश- षष्टेष होकर दशम अर्थात राज्य भाव मे जा रहे है। शुक्र यहां पर उच्चाभिलाषी होकर गोचर करेंगे। शुक्र के इस परिवर्तन का व्यापक प्रभाव भारतीय सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक एवं आर्थिक व्यवस्था पर पड़ेगा।</p>
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<strong>भारत पर प्रभाव-</strong> व्यापार के नए स्रोत,  नई तकनीकी का विकास, राष्ट्र में अंदर ही विरोधी तत्वों में वृद्धि रुकेगी, आम जन मानस, विदेश से आर्थिक गतिविधियों के लिए समझौता, राष्ट्र अपना वर्चस्व बढ़ाने में सफल होगा। भारत अपना प्रभाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर पाने में सफलता प्राप्त कर सकेगा। वाहन आदि से संबंधित तथा कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र से सरकार द्वारा सकारात्मक निर्णय आम जनमानस के लिए लिया जा सकता है।</p>
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<strong>मेष-</strong> धनेश एवं सप्तमेश होकर लाभ भाव में। धनागम, वाणी व्यवसाय से धन लाभ सम्भव, अध्ययन अध्यापन के क्षेत्र में प्रगति, प्रेम संबंध एवं जीवनसाथी से लाभ,  साझेदारी के कार्यों में लाभ की स्थिति, संतान के क्षेत्र से लाभ की स्थिति बनेगी, व्यापारिक लाभ की स्थिति बनेगी।</p>
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<strong>वृष- </strong>लग्नेश एवं रोगेश होकर दशम भाव में। प्रतियोगिता में विजय व भाग्य का साथ प्राप्त होगा, पिता का सहयोग, सानिध्य प्राप्त होगा, पराक्रम एवं राज्य सम्मान में वृद्धि, गृह एवं वाहन के सुखों में वृद्धि, नयी योजनाओं की शुरूआत हो सकती है, आर्थिक गतिविधियों में सकारात्मक प्रगति।</p>
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<strong>मिथुन- </strong>व्ययेश-पंचमेश होकर भाग्य भाव में।  धनागम के स्रोत एवं पारिवारिक वृद्धि, संतान पक्ष से लाभ एवं चिंता से मुक्ति संभव, पढ़ाई, अध्ययन-अध्यापन में रुचि बढ़ेगी, परिवार में नया कार्य, अचानक खर्च वृद्धि, भाई बंधुओं मित्रों के सहयोग सानिध्य में वृद्धि।</p>
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<strong>कर्क-</strong> लाभेश एवं सुखेश होकर अष्टम भाव में। धनागम एवं पारिवारिक कार्यों में वृद्धि, प्रेम संबंध एवं जीवनसाथी के प्रति चिंता संभव, गृह एवं वाहन सुखों को लेकर खर्च वृद्धि संभव, मनोबल को संतुलित रखकर कार्य करें, माता के स्वास्थ्य को लेकर चिंता संभव।</p>
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<strong>सिंह-</strong> राज्येश- पराक्रमेश होकर सप्तम भाव में। पराक्रम एवं सम्मान में वृद्धि होगी, कार्यो में प्रगति एवं परिश्रम में वृद्धि होगी, साझेदारी के कार्यों में प्रगति एवं धनागम होगा, दांपत्य जीवन एवं प्रेम संबंधों में सकारात्मक प्रगति, व्यक्तित्व एवं आकर्षण में वृद्धि संभव।</p>
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<strong>कन्या-</strong> भाग्य एवं धन के कारक होकर षष्ठ भाव में। भौतिक संसाधनों की प्राप्ति एवं भोग विलास बढ़ेगा, अचानक धार्मिक अथवा व्यापारिक यात्रा पर खर्च, आंतरिक रोग कर्ज एवं शत्रु से कष्ट संभव, पारिवारिक कार्यों को लेकर के तनाव की स्थिति, पिता के स्वास्थ्य,पैतृक सुखों एवं भाग्य में अवरोध।</p>
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<strong>तुला-</strong> लग्न एवं अष्टम का कारक होकर पंचम भाव में। पद प्रतिष्ठा एवं वर्चस्व में वृद्धि होगी, गृह एवं वाहन सहित सभी सुखों में वृद्धि, मनोबल उच्च एवं कार्य क्षमता में वृद्धि, संतान,मातृ एवं पितृ सुखों में वृद्धि की संभावना, सरकारी लाभ एवं नौकरी में दायित्व वृद्धि, अध्ययन अध्यापन एवं लाभ में वृद्धि होगी।</p>
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<strong>वृश्चिक-</strong> व्ययेश एवं सप्तमेश होकर सुख भाव में। पराक्रम एवं सामाजिक दायरे में वृद्धि, जीवन साथी से लाभ की संभावना बनेगी, माता का सहयोग सानिध्य प्राप्त होगा, गृह वाहन एवं भौतिक संसाधनों पर खर्च संभव, नौकरी व्यवसाय से जुड़े लोगों को लाभ होगा।</p>
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<strong>धनु-</strong> रोगेश एवं लाभेश होकर पराक्रम भाव में। धन वृद्धि के नये अवसर प्राप्त होंगे, भाई बंधुओं मित्रों से लाभ की स्थिति बनेगी, भाग्य वर्धक कार्यों में प्रगति के आसार अच्छे, राजनैतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों को लाभ, व्यापारिक विस्तार का भी योग अच्छा बनेगा।</p>
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<strong>मकर-</strong> राज्येश एवं पंचमेश होकर धन भाव में। व्यक्तित्व, आकर्षण में अच्छी वृद्धि होगी, दाम्पत्य जीवन एवं प्रेम संबंधों मे प्रगति, पारिवारिक एवं संतान की प्रगति से मन प्रसन्न रहेगा, कार्य क्षमता, सामाजिक पद व प्रतिष्ठा में वृद्धि, अध्ययन अध्यापन एवं बौद्धिक क्षमता में वृद्धि।</p>
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<strong>कुम्भ-</strong> सुखेश एवं भाग्येश होकर लग्न भाव में। सुख के साधनों की प्राप्ति अच्छी होगी, जीवन साथी एवं प्रेम संबंध के पक्ष से मन प्रसन्न, दैनिक आय एवं साझेदारी के कार्यों में वृद्धि, माता के स्वास्थ्य एवं सुख में वृद्धि होगी, जमीन जायदाद एवं वाहन को लेकर मन प्रसन्न में, व्यापारिक या धार्मिक यात्रा का पूर्ण संयोग।</p>
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<strong>मीन-</strong> पराक्रमेश एवं अष्टमेश होकर द्वादश भाव में। आंतरिक रोग एवं अति घनिष्ठ मित्र द्वारा कष्ट, भाई बंधुओं मित्रों पर खर्च बढ़ेगा, पराक्रम एवं सामाजिक कार्यों को लेकर तनाव, भोग विलास एवं सुख के साधनों पर खर्च, पुरानी बीमारी का इलाज इस अवधि में संभव।</p>

आईएन ब्यूरो

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