Categories: विचार

कृषि सुधार बिल को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध सरकार

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देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पिछले छह वर्षों में सरकार ने देश की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए, अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए, जिस तरह से मजबूत और बड़े फ़ैसले लिए हैं, उससे देश-विरोधी ताकते और विपक्षी पार्टियों की नीद उड़ी हुई हैं। फिर चाहे वह धारा 370 का मामला रहा हो, तीन तलाक का, राम मंदिर का, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) या विमुद्रीकरण का। प्रधानमंत्री मोदी के इन कठोर कदमों  की वजह से देश विरोधी शक्तियों के मंसूबों पर पानी फिर गया है। इन शक्तियों ने पहले देश के आम मुसलमानों को भड़काने की कोशिश की। शाहीन बाग का ड्रामा किया, लेकिन हर जगह उन्हें मुंह की खानी पड़ी।</p>
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अब वे एक बार फिर किसान आन्दोलन के नाम पर सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं क्योंकि उनको लगता है उनके द्वारा उनके शासन काल में किसान के हित में संसद में उठाये गए इस मुददे पर भी मोदी सरकार बाजी न मार ले और वे हांथ मलते रह जाए। प्रधानमंत्री जी के इस बयान के बावजूद की उनको किसानों के हित में लाये गए कानून में उनको कोई क्रेडिट नहीं चाहिए तब भी वे इसमें हवा भरने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जल्दी ही इनके द्वारा फुलाया जा रहा यह गुब्बारा भी फूट जाएगा और इनके चेहरों से इसका भी नकाब उतर जायेगा।</p>
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हिमाचल प्रदेश का एक किसान जो फूलों की खेती करता हैं जिसका दाम उसे अपने स्थानीय बाज़ार कृषि उत्पाद मंडी समिति (ए पी एम सी) में ठीक से नहीं मिल पाता, वही किसान जब सरकार के किसी नई व्यवस्था और उपकरण से अपने उन फूलों को हिमाचल-प्रदेश के स्थानीय बाज़ार में न बेचकर सीधे बंगलौर और हैदराबाद में बेचता हैं और उसे पहले से पांच से छह गुना अधिक फ़ायदा मिलता हैं तो इसमें क्या बुराई हैं।</p>
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दूसरा जब देश के यशस्वी प्रधानमंत्री से लेकर कृषि मंत्री नरेद्र सिंह तोमर अपने कई वक्तव्यों में यह कह चुके है कि न तो हम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) खत्म कर रहे है और न ही APMC व्यवस्था खत्म कर रहे हैं, बल्कि इसके समनांतर हम एक और ऐसी व्यवस्था खड़ी कर रहे हैं जिसका सीधा संबंध बाजार के उन बड़े व्यवसायियों और राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय कारोबारियों हैं। जो किसी भी तरह के कृषि उत्पादों को सीधे किसानों से खरीद सकते हैं तो इसमें भी कोई कमी नजर नहीं आती।</p>
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inadminhin

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