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पाकिस्तान के लिए ग्रेलिस्ट और ब्लैकलिस्ट की बीच दूरी सिमटी जा रही है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर के मुताबिक फरवरी की &ldquo;डेड लाईन&rdquo; करीब आ रही है लेकिन पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कुछ भी नहीं किया है और आतंकवादी संगठनों को मिलनी वाली वित्तीय सहायता पर रोक लगाने के लिए कुछ नहीं किया है। ग्रीक सिटी टाईम्स के मुताबिक, मार्कस प्लेयर का कहना है कि पिछले अक्टूबर में एफएटीएफ की प्लेनरी मीटिंग में पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी संगठनों को वित्तपोषण पर रोक लगाने के कदमों की व्यापक समीक्षा की गयी थी लेकिन &quot;उनमें बहुत गंभीर कमियां&quot; थीं और इन मुद्दों को हल करने के लिए फरवरी तक का समय पाकिस्तान को दिया है। लेकिन हम &quot;हमेशा के लिए इंतजार नहीं कर सकते।&quot; मार्कस के मुताबिक, पाकिस्तान खुद को ऐसा प्रोजेक्ट करने की कोशिश कर रहा है कि वो आतंकवादी संगठनों, उनको मिलने वाली धन राशि, आतंकवादी संगठनों से जुड़े आतंकवादियों के खिलाफ जबर्दस्त कार्रवाई कर रहा है लेकिन एफएटीफ इससे आश्वस्त नहीं है।</p>
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<span style="font-size:14px;"><strong>आंखों में धूल झोंक रहा है पाकिस्तान</strong></span></li>
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एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून 2018 में &lsquo;ग्रे&rsquo; सूची में डाला था और इस्लामाबाद को धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की 27 बिंदुओं की कार्य योजना को वर्ष 2019 के अंत तक लागू करने को कहा था। कोविड महामारी की वजह से पाकिस्तान के लिए समय सीमा बढ़ा दी गई थी। कर्ज से दबे पाकिस्तान ने एफएटीएफ की ग्रे सूची से निकलने की कोशिश के तहत पिछले साल अगस्त महीने में 88 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके नेताओं पर वित्तीय पाबंदी लगाई थी। इनमें मुंबई हमले का सरगना और जमात-उद दावा प्रमुख हाफिज सईद, जैश-ए-मुहम्मद प्रमुख मसूद अजहर और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम भी शामिल है। लेकिन अक्टूबर में हुई एफएटीफ की मीटिंग में पाकिस्तान के इन दिखावों की पोल कुल गई। अपने मित्र टर्की,चीन और मलेशिया के चलते पाकिस्तान को तीन महीने की मोहलत मिल गई। एफएटीएफ की 21-22 फरवरी को होने वाली मीटिंग में एक बार फिर पाकिस्तान के दावों की समीक्षा की जाएगी।</p>
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<strong><span style="font-size:14px;">इमरान खान और जनरल बाजवा की नींद हराम</span></strong></li>
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इस डर से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा की नींद हराम हो गई है। पिछले दिनों आनन फानन में फटाफट लश्कर ए तैयबा के सुप्रीमो हाफिज सईद, उसके डिप्टी और मुंबई हमलों का मास्टर माईंड जकीउर रहमान लखवी को जेल की सजा सुना दी गई और जैश-ए-मोहम्मद के सरगना और वैश्विक आतंकी मसूद अजहर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया। पाकिस्तानी कोर्ट को बताया गया कि मसूद अजहर लापता है लेकिन पाकिस्तानी जानकारों के मुताबिक मसूद अजहर को पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआआई ने सुरक्षित ठिकाने पर रखा हुआ है। लेकिन ताज्जुब की बात है कि सजा सुनाने के कुछ हफ्ते पहले इन आंतकवादियों के बैंक खातों पर लगे प्रतिबंध को इमरान खान की सरकार ने हटाते हुए इन्हें मासिक पेंशन देने का ऐलान किया था।</p>
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<span style="font-size:14px;"><strong>खुलेआम चंदा इकट्ठा कर रहे हैं आतंकी गिरोह</strong></span></li>
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अक्टूबर में पाकिस्तान की दी गई चेतावनी के बावजूद, आतंकी संगठन से जुड़ी संस्थाएं पाकिस्तान में खुले आम धन उगाही का काम कर रही हैं। कहने को तो जैश ए मोहम्मद का सुप्रीमो लापता है लेकिन सोशल मीडिया पर उसके लिखे संदेश लगातार दिखाई दे रहे हैं जिसमें जम्मू कश्मीर के लिए दिल खोल चंदा मांगा जा रहा है। लश्कर ए तैयबा से जुड़ी हाफिज सईद की संस्था जमात उ दावा पाकिस्तान में आंतंकवादी संगठनों का सम्मेलन करवा रहा है और यह सब पाकिस्तानी सरकार के संरक्षण में हो रहा है। पिछले महीने जमात उद दावा (JuD) के नेताओं ने सोशल मीडिया पर तहाफ़ुज़ हुरमत ए रसूल सम्मेलन (सम्मेलन) को संबोधित किया जिसमें उस शख्स की मिसाल दी गई जिसने 16 अक्टूबर को फ्रांस में स्कूल के शिक्षक सैमुअल पैटी की हत्या की थी।</p>
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<span style="font-size:14px;"><strong>पाकिस्तान का टाइम पूरा</strong></span></li>
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एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लेयर का कहना है कि उनकी संस्था की नजर पाकिस्तान पर है। अक्टूबर 2020 में पाकिस्तान को साफ साफ चेतावनी दी गई थी कि उसकी समय सीमा खत्म हो चुकी है और फरवरी की मीटिंग में उसे सबूतों के साथ बताना पड़ेगा कि उसने सभी निर्देशों का किस तरह पालन किया है। अगर पाकिस्तान ऐसा करने में असफल रहता है तो एफएटीएफ के पास उसे ब्लैक लिस्ट में डालने के सिवा कोई चारा नहीं रह जाएगा। &ldquo;अगली प्लेनरी फिर यह तय करेगी कि क्या पाकिस्तान ने वास्तव में पूरी तरह से और प्रभावी रूप से कार्य योजना को पूरा किया है या नहीं और उसके पर कोई फैसला लिया जाएगा।&rdquo;</p>
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