विचार

कट्टरपंथियों के मुंह पर PM मोदी का तमाचा, दाऊदी बोहरा के साथ गलबहियांं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अदनी-मदनी, तौकरी-फौकीरी और ओवैसी-खुवैसी सब का इंतजाम कर दिया है। मोदी ने मोटे तौर पर तीन समूह हैं। इसमें एक पसमांदा दूसरा दाऊदी और तीसरा अफसार वर्ग है। यह वर्ग मुसलमानों का नेता बनता है। इस्लाम के नाम पर पसमांदा को इस्तेमाल करत है और मलाई खुद बटोर ले जाता है। मोदी ने मुंबई में बोहरा समुदाय के साथ एक दिन बिता कर लाखों बोहरा मुसलमानों का मन मोह लिया है। उधर पसमांदा मुसलमानों को लुभाने के लिए पीएम मोदी ने अपनी पूरी फौज छोड़ रखी है। मुसलमानों का एक वर्ग और है जिसे अहमदिया मुसलमानों के नाम से पहचाना जाता है। मोदी ने इस वर्ग को भी पूरा सम्मान दिया है। उन्हें तिरस्कार से बचाया और पुरस्कार दिया है। थोड़ा का विरोधाभास यह है कि अहमदियाओं को मुसलमानों के बाकी वर्ग मुलमान मानने को ही तैयार नहीं हैं। पाकिस्तान में तो अहमदियों को बाजिव-ए-कत्ल घोषित कर रखा है। भारत में भी उसका असर है लेकिन मोदी सरकार के चलते अहमदियों में भय कम है।

बहरहाल बात करते हैं शुक्रवार को दाउदी बोहरा मुसलमान और पीएम मोदी की। पीएम मोदी ने मुसलमानों के बीच जाकर साबितकर दिया है कि वो मुसलमान विरोधी नहीं बल्कि कट्टरवाद और हिंस प्रवृति वालों के खिलाफ हैं। शुक्रवार को भारत की प्रगति, विकास और राष्ट्र निर्माण में दाऊदी बोहरा समुदाय के अपार योगदान का जिक्र किया।

मोदी ने शिक्षा, व्यापार, रव्यवसाय, जल संरक्षण, पर्यावरण की रक्षा और अन्य सामाजिक-शैक्षणिक गतिविधियों के माध्यम से समुदाय की समग्र भागीदारी और राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की।

मोदी ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, दाऊदी बोहरा भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वे पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। अब वह जहां भी बसे हैं, उन्हें भारत का ‘ब्रांड एंबेसडर’ बनना चाहिए। प्रधानमंत्री मरोल में दाउदी बोहरा समुदाय के आध्यात्मिक प्रमुख सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन की उपस्थिति में प्रतिष्ठित दाऊदी बोहरा सीट ऑफ लनिर्ंग- ‘अलजामिया-तुस-सैफियाह’ के मुंबई परिसर के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे, कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी मौजूद थे।

मोदी ने 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में सूरत परिसर का दौरा किया था, और इससे पहले, तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी जून 1960 में कार्यक्रम स्थल की शोभा बढ़ाई थी। मोदी ने संस्थापक सैयदना अब्देअली सैफुद्दीन की ²ष्टि और समर्पण की प्रशंसा की, जिन्होंने ब्रिटिश राज की ऊंचाई पर अकल्पनीय माने जाने वाले उत्कृष्टता के एक अकादमिक संस्थान को लॉन्च करने की दूरदर्शिता प्रदर्शित की।

मोदी ने यह भी अनुरोध किया कि समुदाय को उन्हें ‘पीएम’ या ‘सीएम’ के रूप में संबोधित करने से बचना चाहिए, क्योंकि मैं सैयदना परिवार की चार पीढ़ियों से निकटता से जुड़ा रहा हूं। मोदी ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कहा, मेरे लिए यह परिवार में लौटने जैसा है.. मैं सैयदना परिवार की चार पीढ़ियों को जानता हूं और वह सभी मेरे घर आते हैं।

पूर्व सामुदायिक प्रमुख सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन के साथ अपने मधुर संबंधों को याद करते हुए, पीएम ने कहा कि जब वह 99 साल की उम्र में उनसे मिले, तो वह छोटे बच्चों को पढ़ाने की उनकी प्रतिबद्धता से चकित थे और वह मेरे लिए एक प्रेरणा और मार्गदर्शन थे। अब, मैं उनके बेटे (सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन) के साथ समान संबंध साझा करता हूं। वह मुझ पर उसी तरह का प्यार और स्नेह बरसाते रहते हैं। मैं जहां भी जाता हूं, भारत में और यहां तक कि विदेशों में भी, कुछ दाऊदी बोहरा हमेशा मुझसे मिलने आते हैं, यहां तक कि रात के 2 बजे भी। उन्हें अपने देश के लिए बहुत प्यार और चिंता है।

पीएम ने बताया कि जब महात्मा गांधी 6 अप्रैल, 1930 को नमक अधिनियम खत्म करने गए थे, तो उन्होंने पिछली रात (5 अप्रैल) दांडी के छोटे से गांव में सैयदना के समुद्र-सामने बंगले ‘सैफी विला’ में बिताई थी। मोदी ने कहा, वर्षों बाद, समुदाय ने मेरे अनुरोध पर तुरंत ध्यान दिया और सैयदना के सैफी विला को सरकार को दान कर दिया, जहां एक स्मारक संग्रहालय बनाया गया है।

पीएम ने पिछले आठ वर्षों में शैक्षणिक क्षेत्र में भारत की व्यापक प्रगति पर भी विस्तार से बात की, जिसमें कॉलेज, विश्वविद्यालय, मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज और उच्च शिक्षा के अन्य संस्थान पूरे देश में तेजी से सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश राज के दौरान, अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया था और दुर्भाग्य से यह आजादी के बाद भी जारी रहा, गरीबों, दलितों और अन्य योग्य लोगों के एक बड़े वर्ग को शिक्षा प्राप्त करने के अवसर से वंचित कर दिया क्योंकि उनके पास अंग्रेजी का ज्ञान नहीं था।

हालांकि, मोदी ने कहा कि अब सरकार ने शिक्षा के लिए मातृभाषा और स्थानीय भाषा को महत्व देने के लिए इसे बदल दिया है। सरकार छात्रों को ‘वास्तविक दुनिया की चुनौतियों’ का सामना करने के लिए तैयार करने के लिए ‘समग्र प्रशिक्षण और शिक्षा’ प्रदान करते हुए स्थानीय भाषाओं में चिकित्सा और इंजीनियरिंग शिक्षा भी देगी।

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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