विज्ञान

SSLV2 कोई प्रक्षेपण यान नहीं यह भारत की स्पेस आर्मी का छुपा रुस्तम है

भारत उपग्रह प्रक्षेपण इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ चुका है। यह वो अध्याय है जिस पर अमेरिका की नासा, चीन स्पेस एजेंसी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी जैसे तमाम संस्थान शोध कर रहे हैं कि आखिर भारत ने ऐसा उपग्रह प्रक्षेपण यान बना कैसे लिया। वो भी सबसे सस्ता और सटीक। दुनिया भर के देशों की खास कर चीन की नींद इसलिए उड़ चुकी है कि कहीं भारत इसका उपयोग सैन्य ताकत के तौर पर करने लगा तो भारत की ताकत का विकल्प तलाशने में सालों लग जाएंगे।

बहरहाल, इसरो के इस साल के पहले मिशन और एसएसएलवी की दूसरी ‘विकास उड़ान’ के दौरान अद्भुत संयोग देखने को मिला। इसे सुबह नौ बजकर 18 मिनट पर प्रक्षेपित किया था और सात अगस्त 2022 को यहां सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एसएसएलवी ने ठीक इसी समय पहली विकास उड़ान भरी थी। पहली विकास उड़ान कक्षा संबंधी विसंगति और रॉकेट के उड़ान पथ से भटक जाने के कारण अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं कर सकी थी

एसएसएलवी के पहले अपेक्षा पर खरे नहीं उतर पाने के कारण दूसरी विकास उड़ान में ‘‘सुधारात्मक कदम’’ उठाए गए थे।

इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने राहत की सांस लेते हुए कहा कि एसएसएलवी ने अपनी दूसरी उड़ान में तीन उपग्रहों को उनकी सटीक कक्षा में स्थापित किया।

उन्होंने सभी के चेहरे पर मुस्कान लाने वाले सफल प्रक्षेपण के तुरंत बाद ‘मिशन कंट्रोल सेंट्रल’ (एमसीसी) से कहा, ‘‘ भारत के अंतरिक्ष समुदाय को बधाई… हमारे पास एक नया प्रक्षेपण यान है, लघु उपग्रह एसएसएलवी। एसएलएलवी डी2 ने अपनी दूसरी कोशिश में उपग्रहों को उनकी अपेक्षित कक्षा में सटीकता से स्थापित कर दिया। तीनों उपग्रह दलों को बधाई।’’

सोमनाथ ने कहा कि पिछले एसएसएलवी प्रक्षेपण से संबंधित सभी समस्याओं की पहचान की गई है, सुधारात्मक कदम उठाए गए और उचित समय पर उन्हें लागू किया गया।

मिशन निदेशक एस विनोद ने कहा कि इसरो टीम ने सात अगस्त, 2022 की विफलता के तुरंत बाद ‘‘वापसी’’ की।

उन्होंने कहा कि इसरो के पास प्रक्षेपण वाहन समुदाय के लिए अब एक ‘‘नया प्रक्षेपण यान’’ है।

इससे पहले, 34 मीटर लंबे एसएसएलवी ने साढ़े छह घंटे की उल्टी गिनती के बाद सुबह नौ बजकर 18 मिनट पर साफ आसमान में पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह ईओएस-07 और दो अन्य उपग्रहों- अमेरिका के अंतारिस द्वारा निर्मित जानुस-1 और चेन्नई स्थित ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ के आजादीसैट-2 के साथ उड़ान भरी।

रॉकेट ने करीब 15 मिनट की उड़ान के बाद उपग्रहों को 450 किलोमीटर की अपेक्षित वृत्ताकार कक्षा में स्थापित कर दिया।

ईओएस-07 156.3 किलोग्राम वजनी उपग्रह है, जिसे इसरो ने बनाया और विकसित किया है। नए प्रयोगों में ‘एमएम-वेव ह्यूमिडिटी साउंडर’ और ‘स्पेक्ट्रम मॉनिटरिंग पेलोड’ शामिल हैं।

इसरो ने बताया कि अमेरिका द्वारा निर्मित जानुस-1 10.2 किलोग्राम वजनी है। यह स्मार्ट उपग्रह मिशन है।

उसने कहा कि आजादीसैट-2 8.2 किलोग्राम वजनी उपग्रह है। आजादीसैट को ‘स्पेस किड्ज इंडिया’ के मार्गदर्शन में भारत की करीब 750 छात्राओं के प्रयास से बनाया गया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इसका उद्देश्य रेडियो संचार क्षमताओं का प्रदर्शन करना, विकिरण को मापना आदि है।

इसरो ने बताया कि एसएसएलवी लघु, सूक्ष्म या नैनो उपग्रहों (10 से 500 किग्रा द्रव्यमान) को 500 किलोमीटर की समतलीय कक्षा में प्रक्षेपित करने में सक्षम है। यह मांग के आधार पर पृथ्वी की निचली कक्षाओं में उपग्रहों का प्रक्षेपण करता है। यह अंतरिक्ष कम लागत वाली पहुंच प्रदान करता है। प्रक्रिया का कम समय और कई उपग्रहों को समायोजित करने का लचीलापन इसकी खासियत है और इसे प्रक्षेपण के लिए न्यूनतम अवसंचना की आवश्यता होती है।े

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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