विचार

Volodymyr Zelensky के खिलाफ बगावत! Odessa के मेयर कर दिया जोरदार धमाका

जेलेंसकी (Volodymyr Zelensky) समर्थित पश्चिमी मीडिया लगातार रूस के खिलाफ प्रोपेगण्डा न्यूज चला रहा है। इन खबरों में रूस को नुकसान और रूसी राष्ट्रपति  पुतिन के खिलाफ खबरों का पुलिंदा होता है। जबकि जेलेंसकी (Volodymyr Zelensky) को हीरो के तौर पर पेश किया जा रहा है। पश्चिमी मीडिया कई बार पुराने वीडियो और फोटोग्राफ्स के साथ छापी और दिखाई जा रही खबरों से दुनिया को यह बताने की कोशिश करता है कि रूसी सेना बर्बाद हो चुकी है। यूक्रेन के खिलाफ मिलिट्री ऑप्रेशन शुरू कर पुतिन ने सबसे बड़ा अपराध किया है। जबकि असलियत यह है कि यूक्रेन में जेलेंसकी  (Volodymyr Zelensky) के खिलाफ खुली बगावत हो रही है। यूक्रेन के कई बड़े शहरों के मेयर जेलेंसकी को सनकी और अपनी जिद के आगे यूक्रेन को बर्बाद करने का आरोप लगा रहे हैं। यूक्रेन के सबसे बड़े शहर ओडेसा के मेयर ने कहा कि अगर जेलेंसकी (Volodymyr Zelensky) चाहते तो यूक्रेन को बर्बादी से बचा लेते।

ओडेसा के मेयर ने खोला मोर्चा

यूक्रेन के बड़े तटीय शहरों में से एक ओडेसा के मेयर गेन्नाडी तुर्खनोव ने कहा है कि यूक्रेन को बचाने के बहुत अवसर आए लेकिन जेलेंसकी एक बाद दूसरी गलती करते गए। जंग के बीच रूस ने जेलेंसकी के सामने बातचीत के कई प्रस्ताव भी रखे, लेकिन जेलेंसकी ने बातचीत को कूटनीतिक तरीकों का उपयोग करते हुए आगे बढ़ाने के बजाए बुरी तरह ध्वस्त कर दिया। तुर्खनोव ने ये सारी बातें इटली के एक अखबार कुरियर डेला सेरा के साथ एक साक्षात्कार में कही हैं।

जेलेंसकी ने शांति समझौते के अवसर ठुकराए

तुर्खनोव ने कहा इसी अगस्त महीने में रूस ने एक बार फिर शांति वार्ता की पेशकश की थी जिसे जेलेंसकी ने बड़ी निर्दयता से नकार दिया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन और रूस की सांझी विरासत है। हमारा इतिहास एक है। एक संस्कृति है। दोनों की भाषा बोली भी लगभग एक है। दोनों देशों के परिवार इस पार और उस पार बंटे हुए हैं। जेलेंसकी को पश्चिमी देशों की मदद पर गुरूर नहीं करना चाहिए। उन्हें पुतिन के साथ बातचीत की टेबल पर बैठकर यूक्रेन की सुरक्षा और तरक्की के लिए बातचीत करनी चाहिए। यूक्रेन-रूस की जंग में लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं। अरबों-खरबों डालर का नुकसान हो चुका है। अगर अब भी जंग रुकती है तो रूस को फिर से खड़ा होने में 25 साल से ज्यादा लग जाएगा।

जेलेंसकी ने सांझी संस्कृति को नष्ट किया

जंग के बीच जेलेंसकी के कुछ फैसले बहुत गलत थे खास तौर पर वो जिन्होंने से सांझी संस्कृति को नुकसान पहुंचाया। जेलेंसकी ने यूक्रेन के शहरों से सोवियत ऐरा की कलाकृतियों का अपमान किया और उन्हें तुड़वा दिया या उनकी जगहों से हटवा दिया। तुर्खनोव ने कहा अगर जेलेंसकी सेल्फ सेंट्रिक न होते तो शायद आज यह स्थिति नहीं आती। जेलेंसकी ने सारी शक्तियां कीव तक ही सीमित रखीं। इन शक्तियों का विकेंद्रीयकरण किया गया होता डोनबास जैसे इलाकों को और अधिक स्वायत्ता के जीने का मौका होता तो शायद जंग नहीं होती। जेलेंसकी ने मिंस्क समझौते की अवहेलना की। मिंस्क समझौते के मुताबिक डोनबास इलाके को विस्तृत स्वायत्ता और स्पेशल स्टेटस दिए जाने पर सहमति हुई थी। उस समझौते में ऐसा कुछ नहीं था कि डोनबास रूस का हिस्सा माना जाएगा। मगर जेलेंसकी ने डोनबास को न तो स्पेशल स्टेटस दिया और न स्वायत्ता। इसके विपरीत 2014 के युद्ध के बाद डोनबास को बदतर हालात में छोड़ दिया गया।

जेलेंसकी ने मिंस्क समझौते की अवहेलना की

डोनबास इलाके से पलायन और कीव से डोनबास के लोगों की अवहेलना के कारण ही रूस को मिलिट्री ऑप्रेशन शुरू करने का मौका दिया। हालांकि, तुर्कनोव ने रूस के इस मिलिट्री ऑप्रेशन की आलोचना की और पुतिन को ‘दैत्य’ की संज्ञा दी जो यूक्रेन को निगलने के लिए बैठा है। इसके बावजूद तुर्खनोव ने कहा कि मूर्तियों, सांझी धरोहरों को नष्ट करने से साझा इतिहास खत्म नहीं किया जा सकता है। यह जेलेंसकी का ऐतिहासिक ब्लंडर है। जेलेंसकी के इस तरह के कार्यों से यूक्रेन में उनकी लोकप्रियता धरती पर आ गई है। खासतौर पर एलेक्सेंद्रा पुश्किन और यूरी गागरिन की प्रतिमाओं को भ्रष्ट करने और अपमानित करने से यूक्रेनियन्स के मन में जेलेंसकी के लिए घ्रणा बढ़ गई है।

हथियारों के कर्ज का बोझ कीव कब तक ढोएगा

तुर्खनोव ने यह भी खुलासा कि इसी माह अगस्त के मध्य में रूस ने बातचीत के संकेत दिए थे। जेलेंसकी को सम्मानजनक समझौते के लिए आगे बढ़कर पहल करनी चाहिए थी, लेकिन अहंकारी जेलेंसकी ने उस अवसर को भी ध्वस्त कर दिया। तुर्खनोव ने कहा कि यह यूक्रेनियंस का दुर्भाग्य ही है कि क्रेमलिन की ओर से मिले समझौता वार्ता के प्रस्ताव को यह कह कर ठुकरा दिया कि ‘इस जंग को रोकने से बेहतर जीतने के अवसर खोजना है!’ जेलेंसकी और उसके सलाहकारों को कौन समझाए कि जीत जमीन के किसी भूखण्ड पर रहने वाले लोगों के भोगने के लिए होती है। जब यूक्रेन ही नहीं बचेगा, यूक्रेनियंस ही नहीं बचेंगे तो किसकी जीत का सपना देखा जा रहा है वो भी एक तरफ हाथी जैसा क्रेमलिन और कीव जैसा चूहा। कीव, पश्चिमी देशों की उधारे की मदद को कितनी देर तक अपनी पीठ पर ढो पाएगा।

Rajeev Sharma

Rajeev Sharma, writes on National-International issues, Radicalization, Pakistan-China & Indian Socio- Politics.

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