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भारत का दबदबा: अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ के 6 G Vision को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता भारत

अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) ने 6G विज़न फ्रेमवर्क को मंज़ूरी दे दी है (प्रतिकात्मक फ़ोटो)

आज जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) ने 6जी विज़न फ्रेमवर्क को मंज़ूरी दे दी है, जिसके निर्माण में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 मार्च, 2023 को “भारत 6जी विजन” दस्तावेज़ लॉन्च किया था, जिसमें भारत को 2030 तक 6जी तकनीक के डिज़ाइन, विकास और तैनाती में अग्रणी योगदानकर्ता बनने की परिकल्पना की गयी है।

भारत 6जी विजन अफोर्डेबिलिटी, सस्टेनेबिलिटी और सर्वव्यापकता के सिद्धांतों पर आधारित है। यह सुनिश्चित करता है कि भारत उन्नत दूरसंचार प्रौद्योगिकियों और समाधानों के अग्रणी आपूर्तिकर्ता के रूप में दुनिया में अपना उचित स्थान ले, जो कि किफायती हैं और वैश्विक कल्याण में योगदान करते हैं।

इसके बाद, 6जी मानकीकरण को प्राथमिकता देने में भारत के दूरसंचार विभाग, संचार मंत्रालय के प्रयासों के परिणामस्वरूप सर्वव्यापी कनेक्टिविटी, सर्वव्यापी इंटेलिजेंस और स्थिरता को 6जी प्रौद्योगिकी के प्रमुख तत्वों के रूप में अपनाया गया है और अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार क्षेत्र में भारत की हैसियत भी बढ़ी है।

संयुक्त राष्ट्र की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के लिए विशेष एजेंसी ITU द्वारा 6वीं पीढ़ी या 6G तकनीक को ‘IMT 2030’ नाम दिया गया है। 22 जून, 2023 को स्वीकृत 6जी फ्रेमवर्क के लिए आईटीयू की सिफारिश, 6जी अनुसंधान और विकास में एक आधार दस्तावेज़ के रूप में काम करेगी और दुनिया भर में 6जी प्रौद्योगिकी के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी।

आईटीयू 6जी फ्रेमवर्क संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के सहयोगात्मक प्रयासों से तैयार किया गया है, जिसमें भारत ने शुरू से ही अग्रणी भूमिका निभायी है।

संचार मंत्रालय की तकनीकी शाखा, दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र (टीईसी) ने इस 6जी फ्रेमवर्क पर भारत के मानकीकरण कार्य का नेतृत्व किया है। टीईसी की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय अध्ययन समूह (एनएसजी) ने आईटीयू 6जी ढांचे के विकास के लिए नियमित भारतीय योगदान प्रस्तुत करने में व्यापक काम किया है। टीईसी द्वारा अपनाये गये समावेशी दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप प्रमुख उद्योगों, स्टार्टअप्स, शिक्षाविदों और अनुसंधान एवं विकास संगठनों की भागीदारी के साथ राष्ट्रीय अध्ययन समूह में व्यापक हितधारकों की भागीदारी हुई है।

टीईसी के नेतृत्व वाला एनएसजी पिछले कुछ वर्षों से इस ढांचे पर काम कर रहा है, और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत-विशिष्ट आवश्यकताओं की वकालत कर रहा है। अतीत में भारत ने NSG के माध्यम से 5G तकनीक के विकास में भी योगदान दिया था,जिसका एक प्रमुख परिणाम ITU द्वारा 5G उपयोग के मामले में लो मोबिलिटी लार्ज सेल (LMLC) को अपनाया जाना था।