विज्ञान

नार्वे में सबसे पुराना शिलालेख मिलने से मची खलबली, 2000 साल पुराने पत्थर से खुलेंगे राज?

नार्वे (Norway) में पुरातत्वविदों ने एक नई खोज करके सभी के होश उड़ा दिए हैं। दरअसल, पुरातत्वविदों के अनुसार उन्होंने दुनिया के सबसे पुराने रूनस्टोन को खोज निकला है। जान लें, रुनस्टोन ऐसे पत्थर होते हैं, जिन पर प्राचीन समय के इंसानों ने रूनी वर्णमाला को कुरेदा हो। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह शिलालेख 2 हजार साल पुराना है और रूनी लेखन के गूढ़ इतिहास के शुरुआती दिनों का है। ओस्लो में सांस्कृतिक इतिहास के संग्राहलय ने कहा कि भूरे रंग के बलुआ पत्थर के सपाट, चौकोर ब्लॉक में शिलालेखों को उकेरा गया है, जो स्कैंडिनेवियन शब्दों का पहला उदाहरण हो सकता है।

म्यूजियम की तरफ से बताया गया कि यह सबसे पुराने शिलालेखों में से एक है। यह दुनिया का सबसे पुराना डेटा योग्य रूनस्टोन है। ओस्लो यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर क्रिस्टेल ज़िल्मर के मुताबिक, ‘यह खोज हमें प्रारंभिक लौह युग में रून्स के उपयोग के बारे में बहुत कुछ ज्ञान देता है। यह नार्वे और स्कैंडेनेविया में पत्थर पर रूनी वर्णमाला के इस्तेमाल का पहला प्रयास हो सकता है।’ रूनी वर्णमाला पहले भी अन्य चीजों पर उकेरी हुई मिल चुकी हैं, लेकिन किसी पत्थर पर यह पहली बार मिली है। डेनमार्क में एक हड्डी के कंघे पर यह मिल चुकी है।

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दो साल पहले हुई थी खोज

2021 के अंत में नार्वे की राजधानी ओस्लो के पश्चिम में टायरिफजॉर्ड के पास एक कब्र की खुदाई के दौरान रूनस्टोन की खोज हुई थी। यहां पर मिली जली हुई हड्डियां, लकड़ी और कोयले की जांच के बाद माना गया कि ये पत्थर 1 ईसा पूर्व से 250 ईसा पूर्व के बीच का होगा। उन्होंने आगे कहा, ‘हमें रूनस्टोन का विश्लेषण और इसकी तारीख का पता लगाने के लिए और भी समय की जरूरत होगी।’

क्या लिखा है पत्थर पर

इस पत्थर की लंबाई 31 सेमी और चौड़ाई 32 सेमी है। इस पर कई तरह की आकृति बनी है, जिसके बारे में अभी नहीं समझा जा सका है। पत्थर के अगले हिस्से पर ‘इडिबेरुग’ लिखा है, जो एक महिला या पुरुष या किसी परिवार का नाम हो सकता है। जिल्मर ने इसे अपने कैरियर की सबसे सनसनीखेज चीज बताया है। उन्होंने आगे कहा कि यह तय बात है कि इस पत्थर से हमें कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलेंगी। रूनी वर्णमाला का इस्तेमाल प्राचीन उत्तरी यूरोप में किया जाता था।

आईएन ब्यूरो

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