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Sahara रेगिस्तान में मिला ‘बूमरैंग उल्कापिंड’!! जमीन से उछला,स्पेस पहुंचा फिर हजारों साल बाद लौटा धरती पर।

Sahara Desert में मिला उल्कापिंड

Sahara मरुस्थल में एक ऐसा उल्कापिंड मिला है,जो हजारों साल पहले जमीन से उछलकर स्पेस में चला गया था,फिर से वापस धरती पर लौट आया है। कुछ साल पहले सहारा रेगिस्तान में मिला एक रहस्यमय पत्थर दरअसल एक उल्कापिंड है,जो पृथ्वी से ही अंतरिक्ष में गया था। कुछ खोजकर्ताओं ने दावा किया है कि यह  ‘पहला बूमरैंग उल्कापिंड’ है।

कुछ साल पहले मोरक्को के Sahara रेगिस्तान में एक गहरा लाल-भूरा पत्थर मिला था। पत्थर को देखने से ऐसा लग रहा था कि यह पत्थर पृथ्वी की एक चट्टान है,जो अंतरिक्ष में गया और फिर हजारों साल बाद वापस धरती पर लौट आया।

यह पत्थर अभी भी है जो अपने आप में आश्चर्यजनक है। वहीं, वैज्ञानिकों के मुताबिक चट्टान को आधिकारिक तौर पर धरती से बूमरैंग करने वाले पहले उल्कापिंड का नाम दिया जाएगा। खोज टीम ने अपना काम पिछले हफ्ते एक इंटरनेशनल जियोकैमिस्ट्री कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किया जो अभी तक किसी जर्नल में प्रकाशित नहीं हुआ है।

जर्मनी में गोएथे यूनिवर्सिटी फ्रैंकफर्ट के भूविज्ञानी फ्रैंक ब्रेनकर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह एक उल्कापिंड है। हालांकि यह बहस का विषय है कि यह वास्तव में पृथ्वी से है या नहीं।’ ब्रेनकर इस अध्ययन में शामिल नहीं थे। शुरुआती जांच से पता चलता है कि पत्थर की रासायनिक संरचना पृथ्वी पर ज्वालामुखीय चट्टानों के समान ही है। उल्कापिंड का नाम NWA 13188 है और इसका वजन लगभग 646 ग्राम है।

पत्थर के अंतरिक्ष में होने के मिले सबूत

साल 2018 में मोरक्को के Sahara रेगिस्तान के एक अज्ञात हिस्से में खोजा गया था। किसी ने भी चट्टान को पृथ्वी पर गिरते हुए नहीं देखा था। खोजकर्ताओं को बेरिलियम-3, हीलियम-10 और नियॉन-21 सहित आइसोटोप के निशान भी मिले हैं, जो दिखाते हैं कि चट्टान ब्रह्मांडीय किरणों के संपर्क में थी। वैज्ञानिकों की राय में यह चट्टान कम से कम 10,000 वर्षों से अंतरिक्ष में थी या संभवतः इससे भी अधिक समय तक।

अंतरिक्ष में कैसे गया यह उल्कापिंड?

आखिर यह उल्कापिंड धरती से उछलकर स्पेस में कैसे चला गया? इसकी दो संभावनाएं है। पहला एक विशाल ज्वालामुखी विस्फोट ने इसे सीधे अंतरिक्ष में भेज दिया और दूसरा यह कि चट्टान एक विशालकाय ऐस्टरॉइड की टक्कर के कारण वायुमंडल से बाहर चली गई। शोधकर्ताओं का मानना है कि बाद वाली घटना की संभावना सबसे ज्यादा है क्योंकि कोई भी इतना शक्तिशाली ज्वालामुखी विस्फोट रिकॉर्ड में नहीं है जो चट्टानों को अंतरिक्ष में लॉन्च कर सके।

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