नई दिल्ली में राष्ट्रीय प्राणी उद्यान के अधिकारी और वन्यजीव प्रेमी इसलिए रोमांचित थे, क्योंकि 18 साल के लंबे अंतराल के बाद गोल्डन रॉयल बंगाल बाघिन सिद्धि ने शावकों को जन्म दिया।
4 मई को सिद्धि द्वारा दिए गए पांच में से तीन शावकों की मौत हो चुकी है और दो अब भी जीवित हैं। दिल्ली चिड़ियाघर की निदेशक आकांक्षा महाजन के अनुसार, सिद्धि ने आख़िरी बार 16 जनवरी, 2005 को जन्म दिया था।
मीडिया के साथ बातचीत में महाजन ने कहा कि सिद्धि का जन्म जंगल में हुआ था और नागपुर के गोरेवाड़ा चिड़ियाघर से लायी गयी थी, शावकों के पिता करण मैसूर चिड़ियाघर से था और एक चिड़ियाघर में पैदा हुआ था। पिता 10 साल और मां छह साल की है।
सिद्धि दोनों शावकों की देखभाल कर रही है और चिड़ियाघर के अधिकारी लगातार उनकी स्थिति पर नज़र रख रहे हैं।
इस समय NZP में चार वयस्क रॉयल बंगाल टाइगर हैं और उनके नाम करण, सिद्धि, अदिति और बरखा हैं। सिद्धि जैसी अदिति जंगली मूल की हैं और गोरेवाड़ा से प्राप्त की गयी थीं।
पिछले साल अगस्त में एनजेडपी में सात साल के अंतराल के बाद तीन सफेद बाघ शावकों का जन्म हुआ था। दिसंबर में उनमें से एक की मौत हो गयी थी और अन्य दो – अवनी और व्योम – को पिछले महीने जनता के देखने के लिए बाड़े में छोड़ दिया गया।
शावकों सहित छह गोल्डन रॉयल बंगाल टाइगर के अलावा, दिल्ली चिड़ियाघर में पांच सफेद बाघ हैं, एनजेडपी में बाघों की कुल संख्या अब 11 हो गयी है।
एनजेडपी 1 नवंबर, 1959 को अपने उद्घाटन के बाद से बाघों का आवास बना रहा है। तब से दिल्ली चिड़ियाघर संरक्षण, शिक्षा और प्रदर्शन के लिए अपनी आबादी का रखरखाव कर रहा है। दिल्ली के चिड़ियाघर में बाघों ने खूब प्रजनन किया है और देश-विदेश के कई चिड़ियाघरों में यह आज सुशोभित हैं।
यह चिड़ियाघर 2010 से केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा चलाये जा रहे नियोजित संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम का हिस्सा है।