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Chandrayaan-3 के बाद Japan का मून मिशन लॉन्च, चार महीने बाद चांद पर पहुंचेगा SLIM

Japan का मून मिशन लॉन्च

जापान (Japan) ने गुरुवार को घरेलू H-IIA रॉकेट पर अपना चंद्र अन्वेषण अंतरिक्ष यान लॉन्च किया, जिससे अगले साल की शुरुआत में चंद्रमा पर उतरने वाला दुनिया का 5वां देश बनने की उम्मीद है। जापान (Japan) ने वीरवार को एक एक्स-रे दूरबीन ले जाने वाला रॉकेट प्रक्षेपित किया, जो ब्रह्मांड की उत्पति का पता लगाएगा। जापान द्वारा प्रक्षेपित रॉकेट में दूरबीन के साथ-साथ चांद की सतह पर उतारने के लिए एक छोटा लैंडर भी भेजा गया है। दक्षिण-पश्चिमी जापान के तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से ‘एचआईआई-ए’ रॉकेट के प्रक्षेपण का जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए) ने सीधा प्रसारण किया।

रॉकेट के जरिए दो अंतरिक्ष यान लॉन्च किए गए हैं। पहला एक एक्स-रे टेलीस्कोप और दूसरा एक हल्का चंद्रमा लैंडर है, जो भविष्य में चंद्रमा लैंडिंग तकनीक के आधार के रूप में काम करेगा। यह टेलीस्कोप सुबह 8.56 बजे अलग हो गया और चंद्रमा लैंडर 9.29 बजे अलग हुआ। गुरुवार की लॉन्चिंग ने जापान के अंतरिक्ष प्रोग्राम की प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी है। क्योंकि भारत हाल ही में चांद पर उतरने वाला चौथा देश और चांद के दक्षिणी ध्रुव पर जाने वाला पहला देश बन गया।

जापान के लिए कामयाबी जरूरी

पिछले महीने जहां भारत का चंद्रयान-3 मिशन सफल रहा तो वहीं रूस का लूना-25 क्रैश हो गया था। मई में जापान (Japan) का भी मिशन क्रैश हुआ था। वहीं, चीन ने अपने तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन का काम पूरा कर लिया है। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक जापानी स्पेस पॉलिसे एक्सपर्ट काजुटो सुजुकी ने कहा, ‘यह जापानी अंतरिक्ष समुदाय के लिए निर्णायक क्षण है।’ गुरुवार को हुई लॉन्चिंग विश्व स्तर पर चंद्रमा के एक्सप्लोरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस मिशन की सफलता जापान को प्रथम श्रेणी के ग्रुप में शामिल करेगी।’

मून स्नापर किया लॉन्च

जापान (Japan) ने ‘स्मार्ट लैंडर फॉ इन्वेस्टिगेंटिंग मून’ (SLIM) लॉन्च किया है। सुपर सटीक पिनपॉइंट लैंडिंग टेक्नोलॉजी के कारण इसे मून स्नाइपर भी कहा जा रहा है। SLIM का लक्ष्य अपने टार्गेट से 100 मीटर के दायरे में उतरना है। पारंपरिक लैंडर की तुलना में यह बेहद कम दूरी है, क्योंकि आम तौर पर लैंडर की सटीकता कई किमी होती है। SLIM में एडवांस इमेजिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ है, जिसके जरिए जापान चीनी अंतरिक्ष कार्यक्रम को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दे रहा है। SLIM के डेटा का इस्तेमाल नासा के आर्टेमिस मिशन में भी किया जाएगा।

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