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नरेन्‍द्र मोदी भारत को विश्‍व का एआई केन्‍द्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने रेज़ 2020–“रिस्‍पोंसिबल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फॉर सोशल इम्‍पावरमेंट 2020” के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि इतिहास के हर कदम पर भारत ने ज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में विश्‍व का नेतृत्व किया है। आज आईटी के इस युग में भी भारत उत्कृष्ट योगदान दे रहा है। मोदी ने भारत को दुनिया का एआई केन्‍द्र बनाने की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। 5 अक्‍टूबर से 9 अक्‍टूबर तक इस शिखर सम्‍मेलन में 45 सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें शिक्षा, उद्योग क्षेत्र और सरकार के लगभग 300 वक्‍ता भाग लेंगे।

इस अवसर पर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, कानून एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद, ट्यूरिंग अवार्डी पद्म‍भूषण से सम्‍मानित एवं पूर्व सह-अध्‍यक्ष, अमेरिकी राष्‍ट्रपति सूचना प्रौद्योगिकी सलाहकार समिति प्रो. राज रेड्डी, रिलायंस इंडस्‍ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन मुकेश अंबानी, सीईओ आईबीएम इंडिया डॉ. अरविंद कृष्‍ण, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत और इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं आईटी मंत्रालय में सचिव अजय प्रकाश साहनी भी उपस्थित थे।

मोदी ने कहा कि भारत ने अपने आपको वैश्विक आईटी सेवा उद्योग का पावरहाउस भी सिद्ध कर दिया है। हम चाहते हैं कि भारत एआई के लिए वैश्विक केन्‍द्र बने। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर भारत का राष्‍ट्रीय कार्यक्रम सामाजिक समस्‍याओं के समाधान में एआई के उचित उपयोग के प्रति समर्पित होगा।

उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मानव बौद्धिकता हमेशा एआई से कुछ कदम आगे रहे। "जब हम एआई के बारे में चर्चा करते हैं, तो हमें इसबारे में कोई संदेह नहीं है कि मानव रचनात्मकता और मानवीय भावनाएं हमारी सबसे बड़ी ताकत बनी हुई हैं। यह भावनाएं मशीनों पर हमारा विशिष्‍ट लाभ हैं। यहां तक ​​कि अच्‍छी से अच्‍छी एआई भी हमारी बुद्धि के साथ मिश्रण किए बिना मानव जाति की समस्याओं को हल नहीं कर सकती है।"

रेज़ 2020 अपने किस्‍म का पहला सम्‍मेलन है। यह जवाबदेह एआई के माध्‍यम से सामाजिक बदलाव, समावेश और सशक्तिकरण के लिए भारत के दृष्टिकोण और रोडमैप को आगे बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर एक वैश्विक बैठक है। भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा नीति आयोग के साथ मिलकर आयोजित इस कार्यक्रम में वैश्विक उद्योग दिग्‍गजों, प्रमुख मत निर्माताओं, सरकारी प्रतिनिधियों और शिक्षाविदों की मजबूत भागीदारी होगी।.

डॉ. शफी अयूब खान

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