Semiconductor Scosystem In India:केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने रविवार को कहा कि सरकार उन्नत माइक्रोप्रोसेसर बनाकर भारत के Semiconductor Scosystem को बढ़ावा देने के लिए डीआईआर-वी कार्यक्रम का समर्थन करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और IIT मद्रास द्वारा इस लक्ष्य को हासिल करने में निभाई गई भूमिका की सराहना की।
चेन्नई में IIT मद्रास द्वारा आयोजित डिजिटल इंडिया आरआईएससी-वी (डीआईआर-वी) संगोष्ठी को संबोधित करते हुए, मंत्री ने कहा कि डीआईआर-वी प्रभावी सार्वजनिक-निजी भागीदारी और IIT मद्रास जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग के साथ चिप्स के निर्माण के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगा।
चंद्रशेखर ने कहा,“आज, भारत का भविष्य उज्ज्वल है, भविष्य डीआईआर-वी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि यह पहल भारत के तकनीकी क्षेत्र को परिभाषित करेगी और कई तकनीकी अवसर पेश करेगी। यह भारत में हमारे इंजीनियरों और स्टार्टअप्स की रचनात्मकता और नवाचार से प्रेरित होगा। नवाचार, कार्यक्षमता और प्रदर्शन- ये डीआईआर-वी कार्यक्रम के लिए आने वाले वर्षों के मंत्र हैं। भारत सरकार डीआईआर-वी को भारतीय आईएसए (इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर) बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।”
मंत्री ने ऐसे स्वदेशी कार्यक्रमों के महत्व पर बल दिया और उल्लेख किया कि लगातार बढ़ते डिजिटलीकरण और नए अनुप्रयोगों के लिए सिलिकॉन चिप्स की मांग बढ़ रही है, जिन्हें अभी खोजा जाना बाकी है।
मंत्री ने कहा,“जैसे-जैसे 5G और 6G के आगमन के साथ इंटरनेट अधिक जटिल हो जायेगा, नए अनुप्रयोगों की खोज की जायेगी। सिलिकॉन चिप्स, semiconductor और अन्य प्रणालियों के लिए जगह खोजने के अधिक अवसर होंगे। जब हम प्रदर्शन और अनुप्रयोगों के बारे में बात करते हैं, तो मैं एक ऐसा भविष्य देखता हूं, जहां कई डिजिटल उत्पाद जिनका हम आज उपभोग करते हैं, चाहे वह क्लाउड, डेटा सेंटर, मोबाइल डिवाइस, टैबलेट, क्लाउड सेवाओं के लिए सर्वर, ऑटोमोटिव तकनीक, सेंसर, IoT, 5G, या 6G हों। नेटवर्क, हम इन सभी में डीआईआर वी-आधारित चिप्स, डिवाइस और सिस्टम देखेंगे।”
मंत्री ने बताया कि भारत के उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग के सभी लक्ष्यों के केंद्र में डीआईआर-वी को रखना कैसे आवश्यक है।
उन्होंने बुनियादी कार्यक्षमता से आगे बढ़ने और नए वैश्विक मानक स्थापित करने वाली अत्याधुनिक प्रणालियों को विकसित करने में अधिक प्रयास करने के महत्व पर भी प्रकाश डाला।
मंत्री ने बताया,“इंडिया टेकडे में हमारी महत्वाकांक्षा इन तीन क्षेत्रों तक फैली हुई है: IoT के साथ ऑटोमोटिव औद्योगिक क्षेत्र, गतिशीलता और उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग सहित कंप्यूटिंग। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि डीआईआर-वी की इन तीनों खंडों में गंभीर उपस्थिति हो। यह कहने के अलावा कि हम इस कार्यक्रम का समर्थन करेंगे, वास्तविक संदेश यह है कि डीआईआर-वी समुदाय और पारिस्थितिकी तंत्र से अपेक्षा अब केवल कार्यक्षमता के बारे में नहीं है। आज, हम केवल कार्यात्मक प्रणालियाँ नहीं चाहते हैं, हम कार्यात्मक प्रणालियाँ चाहते हैं जो अन्य तुलनात्मक प्रणालियों और आईएसए के मुकाबले नए मानक स्थापित करने के मामले में भी अग्रणी हों।”
श्री राजीव चन्द्रशेखर ने IIT चेन्नई और सी-डैक के बीच साझेदारी की सराहना की, विशेष रूप से डीआईआर-वी कार्यक्रम के संदर्भ में, इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे इस तरह के सहयोग रचनात्मकता और नवाचार के लिए एक केंद्र बनाते हैं। उन्होंने कहा, “IIT चेन्नई और सी-डैक के बीच सहयोग ने दिखाया है कि कैसे IIT -चेन्नई दुनिया भर के अन्य सभी शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ अर्धचालक और इलेक्ट्रॉनिक्स नवाचार के इस तेजी से बढ़ते पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा बनने में रुचि रखने वालों के लिए एक प्रकाशस्तंभ बन गया है। IIT चेन्नई तेजी से नवाचार और रचनात्मकता का केंद्र और डीआईआर-वी पर केंद्रित भविष्य की प्रणालियों का केंद्र बनता जा रहा है।”
एक दिवसीय संगोष्ठी में विभिन्न तकनीकी नवाचारों का प्रदर्शन किया गया और उद्योग जगत से स्टार्टअप, छात्रों और शिक्षाविदों की भागीदारी देखी गयी।