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Wireless Electric Power: बिना पोल-बिना तार घर में कैसे जलेगी बिजली, फ्रिज-टीवी-एसी और लैपटॉप सब वायरलेस बिजली से चलेंगे

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जब टेलिफोन शुरू हुआ तो किसी ने नहीं सोचा एक दिन ऐसा भी आएगा जो बिना तार के चलेगा। अब जिसको को देखो उसकी पॉकेट में फोन दिखाई देता है। जब टेलिवीजन आया तो बड़े-बड़े एंटीना लगाए जाते थे। एंटीना छोटे होते गए फिर एक खास केबुल के जरिए घर-घर टेलिवीजन पहुंचा, केबुल के बाद घर की छतों पर डिस एंटीना लगने लगे अब फाइबर केबुल से टीवी देखा जाने लगा है। पहले ज्यादा साफ आवाज, साफ तस्बीर और ज्यादा चैनलों के साथ। अब इसी तरह आपके घर की बिजली भी डिश एंटीना से आएगी। टीवी की तरह अब आपके घर की बिजली भी वायरलेस आएगी। जी हां, वायरलेस बिजली की कल्पना ने मूर्त रूप ले लिया है। अमेरिका की यूएस नेवल रिसर्च लेबोरेटरीने दुनिया में पहली बार एक किलोमीटर तक बिजली का वायरलेस ट्रांसमिशन किया है। 1890 में टेस्ला ने पहली बार वायरलेस पॉवर सप्लाई की कल्पना की थी। जो अब साकार हो चुकी है।</p>
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वायरलेस पॉवर सप्लाई (Power Supply Without Wire) करने के लिए किसी ओवरहेड या अंडरग्राउंड वायर की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस तकनीक का सफल परीक्षण करते हुए अमेरिका ने एक किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक 1.6 किलोवाट बिजली की सप्लाई की है। बिना तार के बिजली सप्लाई करने का विचार लगभग 100 साल पुराना है। दुनियाभर के कई देशों में बिना तार के बिजली पहुंचाने को लेकर कई प्रोजक्ट भी चलाए गए हैं, पर किसी को भी पूर्ण रूप से सफलता नहीं सकी है।</p>
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यूएस नेवल रिसर्च लेबोरेटरी (एनआरएल) ने मैरीलैंड में यूएस आर्मी रिसर्च फील्ड में माइक्रोवेव बीम का उपयोग करके एक किलोमीटर (3,280 फीट) से अधिक 1.6 किलोवाट बिजली को पहुंचाया। इस परियोजना में शामिल वैज्ञानिक ने बताया कि इसका सिद्धांत काफी सरल है। बिजली को माइक्रोवेव में परिवर्तित किया जाता है, जिसे बाद में रेक्टेना एलिमेंट से बने रिसीवर पर एक बीम में केंद्रित किया जाता है। ये बहुत ही सरल घटक हैं, जिनमें एक आरएफ डायोड के साथ एक एक्स-बैंड डाईपोल एंटीना होता है। जब माइक्रोवेव रेक्टेना से टकराते हैं, तो एलिमेंट करंट उत्पन्न करते हैं।</p>
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अडवांस कॉन्सेप्ट ग्रुप के प्रमुख क्रिस्टोफर रोडेनबेक के नेतृत्व में एनआरएल टीम को रक्षा विभाग ने एक सेफ एंड कन्टिन्यूअस पावर बीमिंग- माइक्रोवेव (SCOPE-M) प्रोजक्ट को विकसित करने का काम सौंपा था। उनका मिशन इस तरह की तकनीक और उसकी व्यवहारिकता का पता लगाना था। उन्होंने कहा कि प्रारंभिक संदेह के बावजूद, माइक्रोवेव बीमिंग आश्चर्यजनक रूप से कुशल साबित हुई है। ऐसे में इस तकनीक पर आगे भी काम किया जाएगा।</p>
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1890 के दशक में सबसे पहले टेस्ला ने ही बिना तार के पावर की सप्लाई की परिकल्पना की थी। इसके लिए उन्होंने 'टेस्ला कॉइल' नाम की एक ट्रांसफार्मर सर्किट पर काम भी किया था, जो बिजली को पैदा करता था, लेकिन वह यह साबित नहीं कर सके कि वह लंबी दूरी पर बिजली के एक बीम को नियंत्रित कर सकता है। तभी से दुनियाभर के वैज्ञानिक आज तक बिना तार के बिजली सप्लाई करने का कारगर तरीका खोज रहे हैं।</p>

आईएन ब्यूरो

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