बिहार चुनाव ने खोखली दोस्ती की दरारें उजागर की

बिहार के विधानसभा चुनाव ने सभी राजनीतिक गठबंधनों के बीच की राजनीतिक दरारों को साफ-साफ उजागर करने का काम किया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की साझेदार लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के नेता चिराग पासवान को अब नीतीश का नेतृत्व स्वीकार नहीं है और दूसरी ओर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से नाराज सहयोगियों की लिस्ट में अब झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का नाम भी जुड़ गया है।

बिहार में सबसे पहले विपक्षी महागठबंधन में बिखराव की शुरुआत हुई। पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी ने तेजस्वी की नब्ज को सबसे पहले पहचाना और नीतीश कुमार से मुलाकात करके राजग में शामिल हो गये। इसके बाद बारी रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा की थी। उनको भी विपक्षी महागठबंधन से बाहर जाकर बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन करने के लिये मजबूर होना पड़ा।

इसके बाद विपक्षी गठबंधन से बाहर होने की बारी झारखंड मुक्ति मोर्चा की थी। झारखंड में राजद का केवल एक विधायक जीतकर आया लेकिन झामुमो ने उसे भी मंत्री बना दिया। अब बिहार में झामुमो को कुछ सीटें देना राजद के मुखिया तेजस्वी को बोझ लग रहा है। तेजस्वी ने कांग्रेस और वामदलों को तो काफी ज्यादा सीटें दी हैं लेकिन जमीनी आधार वाले रालोसपा, वीआईपी या हम और झामुमो को समुचित सम्मान देने का उनको कोई औचित्य नजर नहीं आया।

राजद के रवैये से नाराज झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य का कहना है कि झामुमो अपने सम्मान के साथ समझौता नहीं कर सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि राजद ने राजनीतिक मक्कारी की है, जिसके खिलाफ हम बोलने को मजबूर हैं।

उन्होंने राजद को याद दिलाते हुए कहा कि राजद को लोकसभा और विधानसभा में उनकी हैसियत से ज्यादा दिया। उन्होंने कहा कि अपने संगठन के बूते बिहार में निर्णायक सीटों पर हम लड़ेंगे। पार्टी ने झाझा, चकाई, कटोरिया, धमदाहा, मनिहारी, पिरपैती और नाथनगर से प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है।

कमोबेश यही हाल लोजपा का है। लोजपा के प्रमुख चिराग पासवान को केंद्र में राजग के साथ तो अच्छा लगता है, लेकिन बिहार चुनाव में उनको राजग का साथ नहीं भाया और चुनावी मैदान में राजग के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।

केंद्र में लोजपा के पूर्व अध्यक्ष उनके पिता रामविलास पासववान मंत्री हैं। लोजपा के प्रमुख चिराग कहते भी हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके आदर्श हैं और उन्हीं से वह संघर्ष करना सीख रहे हैं, लेकिन बिहार में भाजपा नेतृत्व वाला राजग उनको पसंद नहीं आ रहा।

मंगलवार को पटना में राजग की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने स्पष्ट कर दिया कि बिहार में नीतीश कुमार का नेतृत्व जिन्हें नहीं पसंद है, वह राजग के साथ नहीं रह सकता है। इससे बिहार के इस विधानसभा चुनाव में सियासती मुकाबला रोचक हो गया है।

(एजेंसी इनपुट के साथ).

डॉ. शफी अयूब खान

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago