चीनी दमन में गायब हो रहे उइगर विद्वान, संस्कृति को खतरा बढ़ा

चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंटों द्वारा अशांत झिंजियांग क्षेत्र में ऐरकेन यिबुलिन को उनके घर  से अचानक कैद किए जाने के लगभग दो साल हो चुके हैं। अक्टूबर 2018 में हिरासत में लेने से पहले ऐरकेन यिबुलिन की इस क्षेत्र में सबसे बड़ी प्रकाशन फर्म ने उइगर भाषा में हजारों पुस्तकों का अनुवाद किया था। ऐरकेन के बारे में उसके बाद से कुछ भी नहीं सुना गया है।

ऐरकेन यिबुलिन का उइगर भाषा के प्रकाशन उद्योग पर एक मजबूत प्रभाव था और इसने  उन्हें चीनी सरकार का निशाना बना दिया। लेकिन वह अकेले बुद्धीजीवी नहीं हैं, जिनको कैद किया गया है। उइगर मानवाधिकार परियोजना के अनुसार अप्रैल 2017 के बाद से कम से कम 435 उइगर बुद्धिजीवियों को कैद या गायब कर दिया गया है।

विदेशी मानवाधिकार समूह उइगर भाषाविदों, विद्वानों और प्रकाशकों को कैद करने को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के एक अभियान के हिस्से के रूप में देखते हैं। ताकि उइगर जातीय समूह की पहचान और संस्कृति को मिटाया जा सके और इसे मंदारिन-भाषी हान आबादी में मिलाया जा सके। प्रसिद्ध उइगर भाषाविद् आलिम हसनी को अगस्त 2018 में अधिकारियों ने बीजिंग में एक कार्य यात्रा के दौरान कैद कर लिया।

भाषाविद् आलिम हसनी झिंजियांग जातीय भाषा कार्य समिति के एक सेवानिवृत्त डिवीजन  प्रमुख हैं। हसनी के शोध के कारण उनको हिरासत में लिया गया, जिसका उद्देश्य उइगर-हान अनुवाद को मानकीकृत करना था। कई शब्दकोश संकलित करने वाले हसनी कम्युनिस्ट पार्टी के एक सदस्य थे। जिनकी परियोजनाओं को पहले सरकार ने मंजूरी दी थी और उन्होंने पुरस्कार हासिल किये थे।

मानव अधिकार समूहों के अनुसार 10 लाख से अधिक उइगर और अन्य ज्यादातर मुस्लिम तुर्क-भाषी अल्पसंख्यकों को जातीय हिंसा के एक चक्र के बाद झिंजियांग में शिक्षा शिविरों के नाम से बनाई गई जेलों में रखा गया है।

जेल में बंद उइगर विद्वान इल्हाम तोहती की सलामती के बारे  भी आशंका जताई गई है, जिन्हें यूरोपीय संसद द्वारा शीर्ष मानवाधिकार पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। लेकिन उनको वर्षों से नहीं देखा गया है।

झिंजियांग कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख का पद कट्टरपंथी चेन क्वुआंगो के संभालने के बाद अक्टूबर 2016 में हिरासत में लिए गए बुद्धिजीवियों की पहली लहर में उइगर साहित्यकार, आलोचक और लेखक यल्कुन रोजी भी थे।

उनके रिश्तेदारों को बाद में पता चला कि रोजी को जनवरी 2018 में "सरकारी सत्ता के खिलाफ तोड़फोड़ के लिए उकसाने" के लिए 15 साल की जेल की सजा सुनाई गई। यह आमतौर पर राजनीतिक कैदियों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला अस्पष्ट आरोप है।

माना जाता है कि रोजी उइगर साहित्य की पाठ्यपुस्तकों को संकलित करने में उनकी भूमिका के लिये कैद किया गया है। उनके सभी सहयोगियों को भी इसी समय के आसपास हिरासत में लिया गया था।

2012 के बाद से, 26 लाख छात्रों तक पहुंचने के उद्देश्य से झिंजियांग में द्विभाषी मंदारिन-उइगर शिक्षा धीरे-धीरे स्कूलों में लागू की गई है। इससे पहले कक्षाएं ज्यादातर उइगर और अन्य अल्पसंख्यक भाषाओं में चलाई जाती थीं।

इन पाठ्यक्रमों को समाप्त करने और उइगर भाषा की शिक्षा को पूरी तरह से समाप्त करने से उइगर युवाओं की अगली पीढ़ी के पास उइगर संस्कृति के साथ अपना संबंध खोजने का कोई रास्ता नहीं होगा। संपूर्ण उइगर पहचान को खत्म करने और उन्हें मंदारिन संस्कृति में समाहित करने का यह चीन का एक तरीका है।.

राकेश सिंह

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