केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसद की स्थायी समिति से संबंधित एक विभाग को सूचित किया है कि उसे नव पारित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के नियम बनाने के लिए अतिरिक्त तीन महीने चाहिए।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि मंत्रालय ने स्थायी समिति की हाल की बैठक में इस मुद्दे को उठाया था। अधिकारी ने कहा कि हालांकि इस बारे में जानकारी नहीं है कि मंत्रालय को समय विस्तार की अनुमति मिली या नहीं।
संसद ने दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून, 1955 में संशोधन किया था, उसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने जनवरी 2020 में इसे अधिसूचित कर दिया था।
संशोधन के अनुसार भारत मुस्लिम बहुल बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं, पारसियों, ईसाइयों, जैनियों और बौद्धों को धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर नागरिकता देगा।
कानून के नियम राष्ट्रपति की मंजूरी के छह महीने के भीतर बन जाने चाहिए या फिर सबऑर्डिनेट लेजिसलेशन पर स्थायी समिति से समय विस्तार के लिए संपर्क किया जाए।
सीएए उन लोगों पर लागू होगा, जो दिसंबर 2014 से पहले भारत में आ चुके हैं। इस कानून से मुसलमानों को बाहर रखा गया है।
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के बीच मंत्रालय की अन्य कार्यो में व्यस्तता का जिक्र करते हुए नियम बनाने के लिए अतिरिक्त समय मांगा गया है।
अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय ने हालांकि समिति को सूचित किया था कि सीएए के नियम बहुत जल्द बना लिए जाएंगे। "बैठक में किसी खास समय का जिक्र नहीं था।".
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