जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को 1990 के दशक की शुरुआत में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन मामले में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की है।
एक वेबिनार में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन जिम्मेदार थे, जो कश्मीर में तीन महीने में शांति के बाद वापसी का झूठा वादा कर पंडितों को घाटी से बाहर लेकर गए थे।
1990 के दशक की शुरुआत में कश्मीर एक खूनी विद्रोही हिंसा की चपेट में था।
अलगाववादी हिंसा की शुरुआत में ही पंडित समुदाय के कुछ प्रमुख सदस्यों को आतंकवादियों ने मार डाला था, जिनमें राज्य भाजपा प्रमुख टीका लाल टपलू और सेवानिवृत्त न्यायाधीश नीलकांत गंझू शामिल हैं, जिन्होंने जेकेएलएफ के संस्थापक मकबूल भट को मौत की सजा सुनाई थी। इसके अलावा कवि और कार्यकर्ता सवार्नंद कौल 'प्रेमी' और कई अन्य को आतंकवादियों ने मार दिया था।
अब्दुल्ला ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट के एक ईमानदार सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा कश्मीरी पंडितों के पलायन की जांच से पलायन के बारे में कई गलत धारणाएं साफ हो जाएंगी।
उन्होंने कहा, "जब तक कश्मीरी पंडित वापस आकर हमारे साथ शांति से नहीं रहेंगे, तब तक कश्मीर पूरा नहीं होगा।"
उन्होंने कहा, "मेरे पिता (शेख अब्दुल्ला) ने कभी भी दो राष्ट्र के सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया। वह कभी नहीं मानते थे कि मुस्लिम, हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध और अन्य धर्म अलग हैं। हम सभी को आदम और हव्वा की संतान मानते हैं।".
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