इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की मौत की सजा के मामले में संघीय सरकार द्वारा पेश याचिका पर सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन किया है। तीन अगस्त को सुनवाई होगी।
पाकिस्तानी सरकार ने इस हफ्ते की शुरुआत में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (समीक्षा एवं पुनर्विचार) अध्यादेश 2020 को संसद में मंजूरी के लिए पेश किया था। यह अध्यादेश जाधव के लिए अपने खिलाफ सजा को चुनौती देने का रास्ता साफ करता है।
अध्यादेश के तहत संघीय सरकार ने जाधव के लिए एक कानूनी प्रतिनिधि नियुक्त किया है, जो आईएचसी के समक्ष मामले को प्रस्तुत करेगा। मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाला, जाधव के मामले की याचिका पर सुनवाई करेंगे और वही पीठ के प्रमुख भी होंगे।
संघीय सरकार ने 22 जुलाई को आईएचसी से कहा था कि जाधव कथित भारतीय जासूस हैं और वह कथित तौर पर पाकिस्तान में कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। सरकार ने बताया कि जाधव ने अपनी मौत की सजा के खिलाफ याचिका दायर करने से इनकार कर दिया है। साथ ही यह भी कहा कि जाधव भारत की सहायता के बिना पाकिस्तान में वकील नियुक्त नहीं कर सकते हैं।
याचिका के अनुसार जाधव ने अपनी सजा के खिलाफ याचिका दायर करने से इनकार कर दिया, जबकि नई दिल्ली भी अध्यादेश के तहत सुविधा का लाभ उठाने के लिए अनिच्छुक है।
यह कदम तब सामने आया, जब संघीय सरकार ने जाधव मामले में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (समीक्षा एवं पुनर्विचार) अध्यादेश 2020 पेश किया, जिसे पाकिस्तान की नेशनल असेंबली (निचला सदन) के माध्यम से मंजूरी मिल गई और इसे सीनेट (ऊपरी सदन) में पेश करने के लिए सरकार ने कमर कस ली है।
विपक्षी दल अध्यादेश के खिलाफ खड़े नजर आए हैं। उन्होंने 'देश में आतंकवाद में शामिल रहे भारतीय जासूस को खुला समर्थन' देने का कड़ा विरोध किया है।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा, सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया है, जो पाकिस्तान की हिरासत में भारतीय जासूसों को फायदा पहुंचाएगा।
वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा, अध्यादेश को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के फैसले के अनुसार प्रख्यापित किया गया है, जिसमें काउंसल एक्सेस की पहुंच और जासूस के लिए अपील के अधिकार की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, भारत हमें फिर से आईसीजे में घसीटना चाहता है, लेकिन हमने पाकिस्तान के खिलाफ भारत के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के सभी निर्देशों का पालन किया है।
मगर विपक्षी दलों का दावा है कि सरकार जाधव को रियायत देने की कोशिश कर रही है।.
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