शिवराज और कमलनाथ के बीच अब 'नारियल' पर चुनावी तकरार

मध्यप्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव में टिकाऊ बनाम बिकाऊ, खुद्दार बनाम गद्दार के बाद अब नारियल पर भी चुनावी तकरार तेज हो गई है। इस मसले पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ आमने-सामने आ गए हैं।

राज्य में 28 विधानसभा सीटों पर तीन नवंबर को उप-चुनाव होने वाले हैं, जिसको लेकर राज्य में चुनावी शोर जोर पकड़ रहा है। भाजपा तथा कांग्रेस एक दूसरे को घेरने की हर संभव कोशिश कर रही हैं। अब तक टिकाऊ बनाम बिकाऊ, खुद्दार बनाम गद्दार, किसान कर्ज माफी और धोखा जैसे नारे गूंज रहे थे और एक दूसरे पर हमले किए जा रहे थे। अब बात नारियल पर आ गई है। इसकी शुरुआत हुई पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के बयान से जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री चौहान द्वारा लोकार्पण और शिलान्यास किए जाने पर तंज कसा था और कहा था कि शिवराज सिंह चौहान दोनों जेबों में नारियल डाल कर चलते हैं।

कमल नाथ के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री चौहान हमलावर हुए। उनका कहना है, नारियल हमारी संस्कृति और संस्कार है। हर पवित्र कार्य के लिए नारियल का उपयोग किया जाता है। हम वैसे ही नारियल नहीं लेकर चलते, कांग्रेस और कमल नाथ की सरकार ने जिन विकास कार्यों को ठप कर दिया था उन कार्यों का सिर्फ शिलान्यास ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि 13 हजार सड़कों का लोकार्पण किया जो कोविड-19 में बनीं। वह रोते थे कि पैसे नहीं हैं और अब जब विकास कार्य हो रहे हैं तो तकलीफ होती है और कह रहे हैं कि नारियल लेकर चलते हैं। नारियल पवित्रता का प्रतीक है और जब हम पूजा करते हैं तो नारियल भगवान को चढ़ाते हैं, नारियल सेवा का प्रतीक है हम नारियल लेकर चलते हैं कोई शैंपेन की बोतल लेकर तो नही चलते।

शिवराज के इस बयान के जवाब में कमल नाथ ने कहा, शिवराज सिंह चौहान, आपने ठीक कहा कि नारियल पवित्रता का प्रतीक है, सेवा का प्रतीक है, इसका उपयोग हम पूजा में करते हैं इसीलिए तो मैं कहता हूं कि आप झूठे चुनावी नारियल फोड़कर पवित्रता के प्रतीक इस नारियल का मजाक मत उड़ाइये। इसे गुमराह व भ्रमित करने वाली राजनीति का हिस्सा मत बनाइये।

कमल नाथ ने आगे कहा, मुझे खुशी होती यदि आप 15 वर्ष जेब में नारियल लेकर चलते लेकिन आप तो सिर्फ चुनाव के समय ही नारियल लेकर चलते हैं और उसे कहीं भी फोड़ देते हैं, इससे मुझे आपत्ति है। जिन 13 हजार किलोमीटर की सड़कों के लोकार्पण का आप जिक्र कर रहे हैं, जरा प्रदेश की जनता को यह भी बता दीजिये, क्या यह सड़कें आपकी सरकार ने बनायी है, क्या इसकी शुरुआत आपने की थी?

राजनीतिक विश्लेषकों कहना है कि, विधानसभा के उप-चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। इस चुनाव के नतीजे सत्ता में बदलाव तक ला सकते है, इसके चलते दोनों ही दल मतदाता को लुभाने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं, इसके लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। यही कारण है कि जिन मुददों का जनता से ज्यादा सरोकार नहीं है वे नारे हवा में तेजी से तैर रहे है। मतदाताओं कंो भावनात्मक रुप से लुभाने की कोशिश हो रही है, दोनों ही दल मतदाताओं को यह बता रहे हैं कि वो उनके सबसे बड़े हमदर्द हैं। मतदाता इन नारों से कितना प्रभावित होता है यह तो नतीजे ही बताएंगे।.

डॉ. शफी अयूब खान

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