सुप्रीम कोर्ट में सुदर्शन चैनल ने दिया ऐसा हलफनामा कि मच गयी हलचल- देखें रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में एक निजी चैनल सुदर्शन की ओर से दाखिल किए गये हलफनामे से हलचल मच गयी है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में आशंका व्यक्त की गयी है कि जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया को कुछ आतंकी संगठनों से वित्तीय मदद मिल रही है। उसी वित्तीय मदद के एवज में जकात फाउंडेशन यूपीएससी कंडीडेट्स का समर्थन कर रहा है। चैनल के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के सामने यह भी कहा है कि आतंक वित्तपोषण और विदेशी धन जैसे मामलों की जानकारी जनता को होनी चाहिए। चैनल के वकीलों ने यह भी कहा कि यदि जकात फाउंडेशन का संस्थापक कश्मीर पर स्लाइड शो करना अभिव्यक्ति की आजादी है तो राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को चैनल पर दिखाना भी मौलिक अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट में चैनल के कार्यक्रम का बचाव करते हुए वकीलों ने कहा कि उसने 'यूपीएससी जिहाद' का इस्तेमाल आतंकवाद से जुड़े संगठनों द्वारा जकात फाउंडेशन को मिले चंदे के आधार पर किया है। सुदर्शन न्यूज का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और के. एम. जोसेफ की पीठ के समक्ष दलील दी।

दीवान ने दलील दी कि जकात फाउंडेशन द्वारा प्राप्त धन संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा के लिए उम्मीदवारों का समर्थन करने के लिए उपयोग किया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके लिए सभी योगदानकर्ता आतंक से जुड़े हैं।

टीवी चैनल की ओर से दलील दी गई कि यदि कोई समाचार चैनल ओबीसी कोटे का लाभ लेने वाले मुस्लिमों के लिए आपत्ति उठा रहा है, तो इसे सांप्रदायिक नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि ये प्रश्न और ये बहस सार्वजनिक जानकारी (पब्लिक डोमेन) में हैं।

इसके हलफनामे में कहा गया है कि उनका कार्यक्रम प्रामाणिक है और उनके कार्यक्रम में ये सवाल उठाया गया है कि क्या अल्पसंख्यक समुदाय के अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को दिए गए लाभ की समीक्षा की जानी चाहिए। हलफनामे में किए गए दावे के अनुसार, अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवार ओबीसी और अल्पसंख्यक दोनों स्कीमों का साथ-साथ फायदा उठा रहे हैं।

दीवान ने दलील दी कि उनके मुवक्किल ने जिस तरह से कुछ लोगों को सिविल सेवाओं में भर्ती किया जा रहा है, उसे लेकर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को उजागर करने का प्रयास किया है। उन्होंने दलील दी कि तथ्यों की जांच की गई है और फिर उन्हें समेटा गया है। वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल को मुफ्त भाषण और अभिव्यक्ति का मौलिक अधिकार है और इन्हें टीवी पर दिखाए जाने का भी अधिकार है।

टीवी चैनल ने अपने हलफनामे में कहा, कार्यक्रम का जोर इस बात पर है कि एक साजिश प्रतीत होती है, जिसकी जांच एनआईए या सीबीआई को करने की आवश्यकता है। ऐसा प्रतीत होता है कि आतंकी संगठन जकात फाउंडेशन ऑफ इंडिया (जेडएफआई) को फंड कर रहे हैं, जो बदले में यूपीएससी के उम्मीदवारों का समर्थन कर रहा है।

दीवान ने कश्मीर पर जेडएफआई के संस्थापक सैयद जफर महमूद द्वारा बनाए गए स्लाइड शो का हवाला दिया और दलील दी कि उन्हें अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, तो उनके मुवक्किल को भी उस भाषण की आलोचना करने का अधिकार है। उन्होंने पीठ के समक्ष ये सभी मुद्दे पेश किए कि आतंक वित्तपोषण, विदेशी धन आदि ऐसी चीजें हैं, जिन्हें जनता को जानने की जरूरत है। (Input Agency).

सतीश के. सिंह

Recent Posts

खून से सना है चंद किमी लंबे गाजा पट्टी का इतिहास, जानिए 41 किमी लंबे ‘खूनी’ पथ का अतीत!

ऑटोमन साम्राज्य से लेकर इजरायल तक खून से सना है सिर्फ 41 किमी लंबे गजा…

1 year ago

Israel हमास की लड़ाई से Apple और Google जैसी कंपनियों की अटकी सांसे! भारत शिफ्ट हो सकती हैं ये कंपरनियां।

मौजूदा दौर में Israelको टेक्नोलॉजी का गढ़ माना जाता है, इस देश में 500 से…

1 year ago

हमास को कहाँ से मिले Israel किलर हथियार? हुआ खुलासा! जंग तेज

हमास और इजरायल के बीच जारी युद्ध और तेज हो गया है और इजरायली सेना…

1 year ago

Israel-हमास युद्ध में साथ आए दो दुश्‍मन, सऊदी प्रिंस ने ईरानी राष्‍ट्रपति से 45 मिनट तक की फोन पर बात

इजरायल (Israel) और फिलिस्‍तीन के आतंकी संगठन हमास, भू-राजनीति को बदलने वाला घटनाक्रम साबित हो…

1 year ago

इजरायल में भारत की इन 10 कंपनियों का बड़ा कारोबार, हमास के साथ युद्ध से व्यापार पर बुरा असर

Israel और हमास के बीच चल रही लड़ाई के कारण हिन्दुस्तान की कई कंपनियों का…

1 year ago