केशव गंगाधर तिलक, इनका जन्म 1856 में इस समय के महाराष्ट्र के रत्नागिरी ज़िले में एक मध्यमवर्गीय हिंदू परिवार में हुआ था। उन्होंने पुणे से स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। उनके पेशेवर जीवन की शुरुआत बतौर मैथेमेटिक्स टीचर हुई थी।लेकिन,जल्द ही उनका मन उचट गया और पत्रकारिता के पेशे में आ गये।उनकी भाषा ओजस्वी थी और लिखने का तेवर उग्र था।अंतत: वह स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
बाल गंगाधर तिलक (Bal Gangadhar Tilak) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेताओं में से एक थे। लोकप्रियता इस क़दर थी कि लोगों के बीच लोकमान्य के नाम से जाने जाते थे। तिलक 1885 में स्थापित कांग्रेस में 1890 में शामिल हो गये।उन्होंने कांग्रेस में उस चलन के विरुद्ध बिगुल फूंका,जिसके तहत कांग्रेस के नेता सरकार से अपनी मांग मनवाने के लिए अनुनय-विनय और प्रार्थनाओं का सहारा लेते थे। लेकिन,वह डंके की चोट पर अंग्रेज़ों के ज़ुल्म के ख़िलाफ़ थे और अंग्रेज़ों से उन्हीं की भाषा में बात करने के समर्थक थे।यही कारण है कि कांग्रेस के भीतर नरम दल के विरुद्ध खड़े तिलक को गरम दल का माना गया।।अंग्रेज़ उनसे इतना त्रस्त थे कि उन्हें ‘भारतीय अशांति का जनक’ तक कहा गया,क्योंकि वह याचना या पश्चमी शैली के विरोधी थे और बहिष्कार तथा स्वदेशी आंदोलनों के प्रबल समर्थक थे।