अंतर्राष्ट्रीय

Pak Maulana ने कहा शहबाज के मंत्री बदतमीज हैं, उन्हें विदेश नीति तक नहीं पता

Hina Rabbani Khar Maulana: अफगानिस्तान पर कब्जा करने में तालिबान का खुलकर मदद करने वाला पाकिस्तान अब परेशान है। जो पाकिस्तान तालिबान का खुलकर समर्थन कर रहा था वो अब उससे पीछा छुड़ाने चाहता है। इस वक्त हाल यह है कि, पाकिस्तान और अफगानिस्तान सीमा पर तालिबान और पाक आर्मी आमने सामने हैं। दोनों के बीच कई बार हमले हो चुके हैं, जिसमें दोनों ओर से जानें गई हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच के डूरंड लाइन पर तनाव बढ़ता जा रहा है। इस बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को लेकर एक मौलाना (Hina Rabbani Khar Maulana) ने जमकर सुनाई है। दरअसल, हाल ही में हिना रब्बानी खार (Hina Rabbani Khar Maulana) अफगानिस्तान दौरे पर गई थी। इसपर पर मौलाना भड़के हुए हैं। मौलना ने कहा कि, शहबाज शरीफ को हिना रब्बानी (Hina Rabbani Khar Maulana) की जगह एक मर्द को भेजना चाहिए था।

हिना रब्बानी खार के चलते बढ़ा तनाव
डूरंड लाइन पर तनाव का जिम्मेदार पाकिस्तानी मौलाना ने हिना रब्बानी खार की तालिबान के साथ मीटिंग को ठहराया है। इतना ही नहीं उन्होंने शहबाज शरीफ को विदेश नीति भी सिखा दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को तालिबान से बातचीत करने के लिए एक महिला को नहीं भेजना चाहिए था। उनका यह भी दावा है कि दोनों देशों के बीच सीमा पर चल रहा ये तनाव तुरंत खत्म हो जाएगा अगर पाकिस्तान विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को बातचीत के लिए भेजता है। पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार 29 नवंबर को तालिबान के टॉप मंत्रियों से बात करने के लिए अफगानिस्तान की राजधानी काबुल गई थीं। हिना रब्बानी खार की यह यात्रा सुरक्षा, आवागमन और व्यापार जैसे मुद्दों से जुड़ी थी। लेकिन उनका तालिबान के नेताओं से मिलना एक पाकिस्तानी मौलाना को नागवार गुजरा है। अल्लामा इब्तिसाम इलाही जहीर ने पूछा है कि पाकिस्तान ने आखिर बिलावल भुट्टो की जगह तालिबान से बात करने के लिए हिना रब्बानी खार को क्यों भेजा?

पाकिस्तानी मौलना ने कहा, हमारे नेता बदतमीज हैं- उन्हें विदेश नीति तक नहीं पता
मौलाना ने कहा कि, अफगान तालिबान के बारे में हर कोई जानता है कि वह दाढ़ी रखने वाले और पगड़ी पहनने वाले हैं। उनके शासन में औरत पर्दे में रहती है। बॉर्डर पर इस समय जो तनाव मौजूद है उसे खत्म करने के लिए एक मर्द को भेजने की जगह वहां पर एक औरत को भेज दिया गया। क्या सरकार को अफगान लोगों की तहजीब नहीं पता है? क्या कभी ऐसा हुआ है कि दाढ़ी और पगड़ी पहनने वाले के पास एक जवान और को भेज कर बातचीत कराई जाए। बिलावल को भेजने की जगह हिना रब्बानी खार को भेज दिया गया। यह बात तो कॉमन सेंस के भी खिलाफ है। इसके साथ ही मौलाना इब्तिसाम इलाही ने बॉर्डर पर तनाव कम करने का नुस्खा भी बताया। मौलना ने कहा कि, बॉर्डर पर अभी जो तनाव मौजूद है वह खत्म हो जाएगा, मुस्लिम देशों को आपस में लड़ाने वाली ताकतें मर जाएंगी अगर बिलावल को अफगानिस्तान भेजा जाए। लेकिन अफसोस की बात है कि हमारे नेता इतने बदतमीज हैं कि उन्हें विदेश नीति का तरीका भी नहीं आता। दो देशों के बीच बातचीत कैसे होती है उन्हें ये भी नहीं पता।

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आईएन ब्यूरो

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