Adani: एक ओर जहां कांग्रेस सहित लगभग पूरा विपक्ष अडानी एंटरप्राइजेज को लेकर हाई लेवल जांच करवाने पर उतारू है तो वहीं अडानी को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया है। एडवोकेट विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है कि अडानी एंटरप्राइजेज को लेकर अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग ने जो रिपोर्ट दाखिल की है उसका अनवेषण करवाया जाना चाहिए।
याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट इतने बड़े और संवेदनशील विषय की जांट सुप्रीम कोर्ट के ही किसी रिटायर्ड जज से इसकी जांच करवाने के निर्देश जारी करे। यह भी कहा गया है कि हिंडनबर्ग क्या है, हिंडनबर्ग ने केवल अडानी को लेकर ही सर्वे रिपोर्ट क्यों जारी की है। याचिका में रिपोर्ट जारी करने के समय पर भी सवाल उठाए गए हैं।
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि देश के किसी भी कार्पोरेट घराने को 500 करोड़ से ज्यादा का बैंक लोन किन शर्तों पर दिया गया है, इस बात की भी गहन जांच होनी चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा है कि इसके लिए एक कमिटी बनाए जाए जो कार्पोरेट जगत की बारिकियों से जांच करे। लेकिन सवाल यह उठता है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की सच्चाई सामने आएगी, और भारत का विपक्ष या भारतीय मीडिया की आंखें तभी क्यों खुलती हैं जब पश्चिमी देशों की कोई एजेंसी ऐसे तथाकथित सर्वे या विश्लेषण ही प्रकाशित करती हैं? क्या भारत में निष्पक्ष सर्वे और विश्लेषण करने वाले शेष नहीं हैं? एक और बड़ा सवाल यह भी कि पहले भारत के प्रधानमंत्री को निशाना बनाया जाता है जब उसमें सफलता नहीं मिलती तो भारत की कॉरपोरेट्स को निशाना क्यों बनाया जा रहा है।
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