अफगानिस्तान में इस वक्त स्थिति बेहद ही बिगड़ चुकी है। यहां पर मानवीय संकट इतना ज्यादा गहरा गया है कि लोग दो जून की रोटी के लिए अपने बच्चों तक को बेच दे रहे हैं। तालिबान की जब से सत्ता में वापसी हुई है लोग डर कर जी रहे हैं। एक तो मुल्क में कब और कहां धमाका हो जाए किसी को नहीं पता। तालिबान के आने के बाद से बम धमाकों से न जाने कितने मसूमों की जान चली गई है। अभी लोगों से अंदर से ये डर खत्म नहीं हुआ था कि तालिबान अपना वही 20साल पुराना वाला रंग दिखाने वाला है।
सत्ता में आने से पहले ही तालिबान ने वादा किया था कि वो अफगानिस्तान में लोगों की भलाई के लिए काम करेगा। महिलाओं को उनके अधिकार से दूर नहीं करेगा। जिस भी क्षेत्र में महिलाओं की जरूरत होगी हर जगह उन्हें इजाजत दी जाएगी। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं हुआ। ये सब के बजाय महिलाओं पर तालिबान अपनी क्रूरता दिखा रहा है। यहां तक महिलाओं को तो बाथरूम में भी नहाते वक्त बुरखा पहन कर नहाने का नियम लगाया गया है। अब तालिबान महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने से इनकार कर दिया है।
न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक तालिबानी अधिकारियों ने अफगानिस्तान में महिलाओं को ड्राइविंग लाइसेंस देने से इनकार कर दिया है। अफगानिस्तान में पहले भी पितृसत्तात्मक समाज रहा है लेकिन बड़े शहरों में आम तौर पर महिलाएं वाहन चलाया करती थीं। हेरात के ट्रैफिक मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट के हेड जान आगा अचाकजइ ने बताया, हमें जबानी निर्देश दिए गए हैं कि महिलाओं के लिए लाइसेंस जारी करना बंद कर दिया जाए। एक मोटर ट्रेनिंग स्कूल चलाने वाली अदीला अदील ने कहा कि तालिबान चाहता है कि यहां कि अगली पीढ़ी को वो सारी सुविधाएं न मिलें जो कि उनके मां-बाप आज ले रहे हैं।
इसके आगे उन्होंने कहा, हमसे कहा गया है कि महिलाओं को वाहन चलाना न सिखाएं और उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस भी न दिलवाएं। बता दें कि पिछले साल अगस्त में तालिबानियों ने अफगानिस्तान पर कब्जाकर लिया। इससे पहले वे 1996 से 2001 तक भी अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज थे। तालिबानी शासन में मानवाधिकार उल्लंघन की खबरें आम बात हैं। वहीं तालिबान ने महिलाओं के शिक्षा और रोजगार के अधिकार को भी देने से इनकार कर दिया है।