अफगानिस्तान के हालात दिन पर दिन बदतर होते जा रहे हैं। कोरोना, सूखा फिर तालिबान के कब्जे के बाद देश भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। लोगों को दो वक्त की रोटी तक नसीब नहीं है। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने बीते सोमवार को चेतावनी देते हुए कहा था कि अफगानिस्तान की आधी से ज्यादा आबादी यानि करीब ढाई करोड़ लोगों को अगले महीने नवंबर से भुखमरी का सामना करना पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि लोग भूख मिटाने के लिए अपनी बेटियां बेचने पर मजबूर हैं।
फाहिमा नाम की महिला ने बातचीत में बताया कि उनके पति ने अपनी 6 साल और डेढ़ साल की बेटियों को बेच दिया है। फाहिमा ने कहा कि वे कई बार रो चुकी है क्योंकि उसके पति ने पश्चिमी अफगानिस्तान में सूखे से बचने के लिए अपनी दोनों बेटियों को शादी के लिए बेचा है। फाहिमा ने कहा कि मेरे पति ने मुझे बताया कि अगर हम अपनी बेटियों को नहीं देते हैं, तो हम सभी मर जाएंगे क्योंकि हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, फाहिमा की बड़ी बेटी के लिए 3350 डॉलर (करीब 2।5 लाख रुपये) की कीमत लगाई गई जबकि छोटी बच्ची के लिए 2800 डॉलर (2।1 लाख)। ये पैसे परिवार वालों को किस्तों में दिए जाएंगे। इन बच्चियों के होने वाले पति भी नाबालिग हैं।
अफगानिस्तान के पश्चिमी प्रांत बदघिस की राजधानी काला-ए-नॉ सूखे की मार से बुरी तरह प्रभावित है। गांव के लोगों का कहना है कि साल 2018 में पड़े अकाल के दौरान युवा लड़कियों की शादी करने की संख्या में बढ़ोतरी हुई थी। इस साल बारिश ना होने से एक बार फिर लड़कियों को बेचने के मामले बढ़े हैं। फाहिमा की एक और पड़ोसी गुल बीबी का कहना है कि इस क्षेत्र में बहुत सारे लोग बाल-विवाह के सहारे मिलने वाले पैसों से गुजर-बसर कर रहे हैं। गुल बीबी खुद अपनी एक बेटी को बेच चुकी हैं। गरीबी, भूख की तड़प और अपने ही बच्चों को बेचने के चलते इन लोगों की मानसिक स्थिति भी बेहद खराब हो चुकी है।