अफगानिस्तान में कब्जा करने के बाद तालिबन की इस वक्त हालत ये है कि उसके पास खाने तक के लिए पैसे नहीं बचे हैं। शुरुआत में तालिबान जिस अकड़ में था अब उसकी अकड़ ढ़ीली पड़ने लगी है और जिस अमेरिका को वो धमकी दे रहा था उसी के आगे भीख मांगने के लिए मजबूर हो गया है। लेकिन एक ओर जहां तालिबान अमेरिका से मदद की गुहार लगा रहा है तो दूसरी ओर अपनी अकड़ को कायम किए हुए है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के उप प्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने अमेरिका की कड़ी आलोचना की है।
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मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने अफगानिस्तान की बैंकिंग संपत्ति पर रोक लगाने के अमेरिका के फैसले पर दुनिया की चुप्पी पर नाराजगी व्यक्त की। साथ ही कहा कि दुनिया ऐसे वक्त पर चुप है, जब अफगानिस्तान में आर्थिक संकट बढ़ रहा है। बरादर ने कहा कि अफगानिस्तान में हर दिन आर्थिक दिक्कतें बढ़ रही हैं। आर्थिक चुनौतियां क्षेत्र और दुनिया दोनों को प्रभावित कर सकती हैं।
बरादर ने कहा कि अमेरिका के अफगानिस्तान के साथ भी वैसे ही रिश्ते होने चाहिए, जैसे उसके दुनिया के बाकी देशों के साथ हैं। अमेरिका अफगानिस्तान से जाने के कारण खुश नहीं है। और जो लोग यहां अमेरिका के साथी थे, वो आर्थिक दिक्कतें खड़ी करना चाहते हैं। दुनिया क्यों अमेरिका को यह नहीं बता रही कि वो पैसा अफगानिस्तान के लोगों का है, ना कि सरकारी अधिकारियों का। दिन प्रतिदिन आर्थिक दिक्कतें बढ़ रही हैं। जब देशस में आर्थिक परेशानियां बढ़ती हैं, तो वह केवल एक देश को नहीं बल्कि दूसरे देशों को भी प्रभावित करती हैं। इसके आगे बरादर ने कहा कि, हमारी एख ही मांग है कि अमेरिका अफगान लोगों और सरकार के प्रति वैसा ही व्यवहार करे जैसा दुनिया के साथ करता है।
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बता दें कि, मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का ये बयान व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी के उस बयान के बाद आया है। जिसमें साकी ने कहा था कि अफगानिस्तान का फंड जारी करने की अभी कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि, ऐसी कई वजह हैं, जिसके कारण रकम अब तक सीज है।