अफगानिस्तान में जब तालिबान ने वापसी की तो इसमें सबसे ज्यादा खुश पाकिस्तान था क्योंकि, उसे लगा था कि वो अफगान की धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंक फैलाने के लिए करेगा। लेकिन, उसे यहां निराश ही हाथ लगी और दोनों दोस्त एक दुसरे के जानी दुश्मन बन बैठे। अफगानिस्तान में मानवीय संकट गहराता जा रहा है जिसे देखते हुए भारत सरकार अपने स्तर पर कई बार मदद कर चुकी है। जिसका तालिबान ने धन्यवाद भी दिया है। वहीं, अब जो भारत सरकार फैसले ले रही है वही तालिबान भी ले रहा है। कुछ दिनों पहले इंडिया ने जो फैसला लिया वो अब तालिबान भी ले रहा है।
दरअसल, तालिबान ने खाद्यान्न की कमी से बचने के लिए अफगानिस्तान के गेहूं निर्यात या व्यापार को निलंबित कर दिया है। अफगानिस्तान में इस साल कम बारिश और बाद में सूखे की वजह से गेहूं के उत्पादन में बड़ी कमी देखी गई है। अधिकतर देश पहले ही खाद्यान्न की कमी का हवाला देते हुए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा चुके हैं और अब इनमें अफगानिस्तान का नाम भी जुड़ गया है। हाल ही में भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर बैन लगाया था जिसके बाद से पूरी दुनिया में तहलका मच गया। क्योंकि, भारत दूनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं का निर्यातक देश है।
एक खबर के मुताबकि, तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि प्रशासन ने सभी कस्टम्स को निर्देश दिया है कि गेहूं को विदेश जाने से रोका जाए। उन्होंने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य देश में खाद्य और गेहूं की असुरक्षा को रोकना है। पिछले साल युद्ध के चलते अफगानिस्तान की फसल प्रभावित हुई है। जिसमें गेहूं का पैदावार भारी मात्रा में घटा है और इसके चलते कई जगहों पर गेहूं के दामों में 50 फीसदी का उछाल आ गया है।
अफगानिस्तान से पहले गेहूं के सबसे बड़े निर्यातक देशों में से एक भारत ने भी पिछले सप्ताह गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। भारत ने गर्मी और लू की वजह से गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच अपने प्रमुख खाद्यान्न की कीमतों में आई भारी तेजी पर अंकुश लगाने के मकसद से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया।