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जंग के बीच नॉर्थ कोरिया ने बढ़ाई US-NATO की टेंशन, मिसाइल लॉन्चिंग के बाद अब समुद्र में दाग दिए गोले

जंग के बीच नॉर्थ कोरिया ने बढ़ाई US-NATO की टेंशन

दुनिया में इस वक्त कई देशों के बीच हालात ठीक नहीं चल रहे हैं। अफगानिस्तान से शुरू हुए जंग के बाद अब यूक्रेन पर रूस किसी भी वक्त कब्जा कर सकता है। इसके साथ ही इधर ताइवान पर भी कब्जा करने के लिए चीन लगातार कोशिशें कर रहा है। ऐसा लगता है कि यूक्रेन जंग के बीच ही चीन भी ताइवान पर हमला बोल सकता है। इस बीच उत्तर कोरिया ने एक बार फिर से यूएस और नाटो की टेंशन भी बढ़ा दी है। क्योंकि, किम जोंग उन एक बार फिर से हथियारों का परीक्षण तेज कर दिया है और अब मिसाइल लॉन्च करने के बाद रविवार को समुद्र में गोले दागे हैं। यह जानकारी दक्षिण कोरिया की सेना की ओर से दी गई है।

इस साल की शुरुआत से ही लगातार मिसाइलों की परीक्षण कर रहे उत्तर कोरिया ने अभी कुछ दिन पहले ही एक मिसाइल परीक्षण किया था। हालांकि, यह असफल साबित हुआ था। इसके बाद कयास लगाए जाने लगे थे कि उत्तर कोरिया अपने हथियारों के जखीरे को बढ़ाते हुए लंबी दूरी की अपनी बैलेस्टिक मिसाइल का परीक्षण करने की कोशिश कर सकता है। दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने रविवार को कहा कि उसने उत्तर कोरिया के पश्चिमी तट से संभवतया बहु रॉकेट लॉन्चर प्रणाली से गोले दागे जाने का पता लगाया है। मंत्रालय ने कहा कि दक्षिण कोरिया की सेना उत्तर कोरिया के कदमों पर करीब से नजर रखती है और तैयार रहती है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक अन्य बयान में कहा कि वह उत्तर के छोटी दूरी के प्रक्षेपकों के लॉन्च पर विचार विमर्श करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की एक आपातकालीन बैठक आयोजित करेगा। परिषद के सदस्य अमेरिका के साथ मिलकर इसका विश्लेषण कर रहे हैं। बयान में कहा गया कि दक्षिण कोरिया अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाएगा।

राष्ट्रपति मून जे-इन का पांच साल का कार्यकाल मई में समाप्त हो रहा है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति यून सुक येओल उनकी जगह लेंगे। उन्होंने कहा है कि, वह अमेरिका के साथ अपने रक्षा सहयोग को बढ़ाएंगे और उत्तर कोरिया के परमाणु खतरे से निपटने में अमेरिकी की मदद लेंगे। बुधवार को असफल मिसाइल लॉन्चिंग इस साल उत्तर कोरिया द्वारा किया गया 10वां हथियार लॉन्च रहा।

अमेरिका और दक्षिण कोरिया की सेना ने कहा है कि उनका मानना है कि बुधवार से पहले उत्तर कोरिया की हथियारों की लॉन्चिंग ह्वासोंग-17 सिस्टम को लेकर थी। उत्तर कोरिया ने बाद में कहा कि उन लॉन्चिंग को एक जासूसी सैटेलाइट के लिए कैमरों और अन्य प्रणालियों का टेस्ट करने के लिए डिजाइन किया गया था। खबरों की माने तो यह भी कहा जा रहा है कि, उत्तर कोरिया अपनी लंबी दूरी की मिसाइल तकनीक का परीक्षण करने और अपने पहले जासूसी सैटेलाइट को ऑर्बिट में स्थापित करने के लिए ह्वासोंग-17 रॉकेट दाग सकता है। ह्वासोंग-17 की संभावित अधिकतम सीमा 15,000 किलोमीटर (9,320 मील) है, जो पूरे अमेरिका की मुख्य भूमि को अपने रेंज के भीतर कर सकती है। अगर उत्तर कोरिया इसमें सफल रहता है तो यह दुनिया के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा खासकर, अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए तो काफी टेंशन बढ़ने वाला है।