Hindi News

indianarrative

ड्रैगन का नया खेल! चीन की कर्ज जाल में फंस रहा भारत का ये करीबी दोस्त

China in Saudi Arabia

China in Saudi Arabia: चीन अपने बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) प्रोजेक्‍ट के तहत दुनिया के कई छोटे देशों को इसका शिकार बना चुका है। इसमें अब तक फंसने के बाद सबसे ज्यादा बुरा हाल श्रीलंका का है। जिसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से डूब गई है और यहां पर हर एक चीज की भारी कमी है। श्रीलंका में आर्थिक तूफान पूरी तरह से देश को डूबा चूकी है। श्रीलंका के बाद पाकिस्तान की भी यही हालत है। पाकिस्तान में भी चीन ने जमकर निवेश किया और अंत में उसकी अर्थव्यवस्था का गला घोंट दिया। इसके बाद बांग्लादेश का भी इस वक्त बुरा हाल है। चीन खासकर उन देशों को अपनी कर्ज जाल में फंसाया है जो भारत के बेहद करीब हैं। श्रीलंका और बांग्लादेश के साथ नेपाल भी भारत के लिए काफी अहम हैं। अब चीन एक और नई चाल चलते हुए भारत के बेहद ही करीबी दोस्त को फंसाता नजर आ रहा है। चीन की चाल दुनिया भांप चुकी है लेकिन, इसके बाद भी इसके जाल में कई देश फंस रहे हैं। चीन अब पाकिस्तान, रूस, श्रीलंका और मिस्‍त्र जैसे देशों में निवेश नहीं कर रहा है। इनकी जगह वो नए देशों को निशाना बना रहा है। दरअसल, चीन ने BRI को लेकर जो सपना देखा था वो चकनाचूर हो गया। चीन को लगा था कि इसके जरिए उसके भारी फायदा होगा लेकिन, इसकी जगह भारी नुकसान हुआ है। चीन के वाणिज्‍य मंत्रालय की तरफ से पिछले दिनों कुछ आंकड़ें जारी किए गए हैं। ये आंकड़ें साल 2022 के पहले 6 माह के हैं। इन आंकड़ों से पता लगता है कि चीन जो अपने बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) प्रोजेक्‍ट के तहत दूसरे देशों में जो निवेश कर रहा था, उसमें भारी गिरावट आई है। वाणिज्‍य मंत्रालय की मानें तो चीनी निवेश में 11.77 फीसदी की गिरावट आई है। चीन की नजर में जो नया देश टॉप पर है वो कोई और नहीं बल्कि भारत का दोस्‍त सऊदी अरब (China in Saudi Arabia) है। पाकिस्‍तान के लिए भी फंडिंग में कमी आई है। फुदान यूनिवर्सिटी के ग्रीन फाइनेंस और डेवलपमेंट सेंटर की मानें तो अकेला सऊदी अरब (China in Saudi Arabia) वह देश है जिसे सबसे ज्‍यादा चीनी निवेश मिला है।

यह भी पढ़ें- US Airforce में चीन ने लगाई सेंध! अमेरिकी फाइटर जेट्स में चाईनीज कलपुर्जे

अब तक चीन की ओर से सबसे ज्यादा फंड पाकिस्तान को दिया जाता था, लेकिन, इस साल पहले छह महीनों में इस फंड में 56 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई है। साल 2021 के पहले महीनों में चीन ने BRI के तहत 84.2 अरब डॉलर निवेश किया था। जबकि इतने ही समय में साल 2022 में उसका निवेश कम हुआ और यह 74.74 अरब डॉलर पर आ गया। चीन ने सऊदी अरब में सबसे ज्‍यादा निवेश किया। साल 2022 के पहले हाफ में इस देश को चीन की तरफ से 5.5 अरब डॉलर का निवेश मिला जो कि सबसे ज्‍यादा है। साल 2013 में राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा लॉन्च किए गए बीआरआई के तकत चीन अब तक 932 अरब डॉलर खर्च कर चुका है।

यह भी पढ़ें- अरुणाचल में LAC पर भारत की तैयारी देख खौफ में चीन, छोटी गलती भी पड़ेगी भारी

हाल ही में अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन अपनी पहली सऊदी अरब यात्रा पर गए थे। सऊदी अरब, मीडिल ईस्‍ट का वो देश है जो हमेशा से अमेरिका की विदेश नीति का अहम हिस्‍सा रहा है। बाइडेन का यह दौरा पूरी तरह से नाकाम साबित हुई और अमेरिका में ही उन्‍हें इसके लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। अब चीन के राष्‍ट्रपति आने वाले दिनों में पहले सऊदी अरब के दौरे पर जाने वाले हैं। जानकारों का मानना है कि, मीडिल ईस्ट अब अमेरिका और चीन के बीच प्रतियोगिता का केंद्र बिंदु बनने वाला है। इसके साथ ही मीडिल ईस्ट में अब चीन के कदम मजबूत भी होने लगे हैं और इसका रंग भी नजर आने लगा है। पारंपरिक सेक्टर्स जैसे तेल और गैस में चीन और खाड़ी देशों के बीच आपसी सहयोग भी बढ़ने लगा है। चीन ने वर्ष 2021 में उन देशों में एक था जिन्होंने सऊदी अरब से सबसे ज्यादा तेल आयात किया था। चीन ने साल 2021 में 87.58 मिलियन टन कच्चा तेल सऊदी अरब से खरीदा था। जिसके बाद सऊदी अरब कच्चे तेल के साझेदार के तौर पर चीन की लिस्ट में नंबर वन पर आ गया था।