रूस (Russia) यूक्रेन युद्ध को जारी हुए एक साल से ज़्यादा हो गया है। युद्ध में दोनों देशो के क़रीब क़रीब हथियार खत्म हो गए हैं। भारत रूस को अपनी ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल बेचने के बारे में सोच विचार कर रहा है। ब्रह्मोस कॉर्पोरेशन के सीईओ अतुल दिनकर राणे ने इसकी जानकारी दी है। खबरों के अनुसार, यूरोप में स्थिति स्थिर होने पर इस मिसाइल को मॉस्को में तैनात किया जाएगा। ब्रह्मोस दुनिया की एकमात्र सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे जमीन, हवा और समुद्र से दागा जा सकता है। भारत ने इसे अपने Su-30MKI और LCA तेजस लड़ाकू विमानों से दागने के लिए सक्षम बनाया है। हालांकि रूस इस प्रोजेक्ट में बतौर ग्राहक शामिल नहीं है और न ही उसकी तरफ से हालिया खबरों को लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने आई है।
ब्रह्मोस 2.8 मैक या ध्वनि की रफ्तार से करीब तीन गुना अधिक तेजी से उड़ान भरती है। कहा जाता है कि यह किसी भी एयर डिफेंस और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों के लिए अभेद्य है। अमेरिका स्थित आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के अनुसार, मिसाइल की रेंज 300 से 500 किमी के बीच है। इस रेंज से यह उत्तरी भारतीय लॉन्चपैड से पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद तक मार करने में सक्षम है। भारत कई देशों को ब्रह्मोस मिसाइल बेच रहा है जिसमें फिलीपींस शामिल है।
डीआरडीओ का यह दावा है कि ब्रह्मोस में ओनिक्स की तुलना में बेहतर इलेक्ट्रॉनिक्स, गाइडेंस और नया एडवांस सीकर मौजूद है। सवाल यह है कि यूक्रेन में हाइपरसोनिक मिसाइल के फेल होने के बावजूद रूस (Russia) भारत से ब्रह्मोस क्यों नहीं लेना चाहता है जिसे दोनों ने साथ मिलकर विकसित किया है। संभवतः रूस यह सोच रहा है कि उसके पास पहले से ही विभिन्न प्रकार की मिसाइलें और युद्धपोत, ग्राउंड लॉन्चर और टीयू-95एमएस, मिग-31के, टीयू-160, या टीयू-22 जैसे विमान और लॉन्चिंग प्लेटफॉर्म है। इस लिस्ट में एक और मिसाइल जोड़ने का कोई मतलब नहीं होगा, जो उसके पास मौजूद मिसाइल से बस ‘थोड़ी अधिक’ एडवांस है।
भारत इंडोनेशिया के साथ 200 मिलियन डॉलर के समझौते पर बातचीत कर रहा है और उसने वियतनाम के साथ भी बातचीत शुरू कर दी है। द वीक के साथ एक इंटरव्यू में, राणे ने कहा कि वे ‘रूस को लगातार ब्रह्मोस के लिए एक बाजार के रूप में देख रहे हैं’। उन्होंने कहा, ‘यूरोप में हालात सामान्य होने के बाद, हमें रूस से कुछ ऑर्डर मिल सकते हैं, खासकर हवा से लॉन्च होने वाली ब्रह्मोस मिसाइल के लिए।’ हालांकि रूसी सेना की ओर से ब्रह्मोस में दिलचस्पी के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं।
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ब्रह्मोस के बजाय रूस (Russia) एंटी-शिप हथियार ओनिक्स मिसाइल का इस्तेमाल करता है। यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस एक लॉन्चर भी विकसित कर रहा है जो ओनिक्स और जिरकॉन दोनों एंटी-शिप मिसाइलों को फायर कर सकता है। दोनों मिसाइलों का इस्तेमाल जमीन पर हमला करने के लिए भी किया जा सकता है। पिछले साल 23 मार्च को, युद्ध शुरू होने के एक महीने बाद, रूस ने ओडेसा के काला सागर बंदरगाह के पास यूक्रेन के एक गोदाम पर बैस्टियन बैटरी से पी-800 ओनिक्स दागा था।
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