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South America के पेरू में मिला वैदिक संस्कृति की अद्भुत निशानियां!

South America के पेरू में मिला वैदिक संस्कृति की अद्भुत निशानियां। पुरातत्वविदों ने एक मंदिर में 3000 साल पुराने साक्ष्य का पता लगाया है। पुरातत्वविदों की टीम ने पेरू के इस प्राचीन मंदिर में अतिप्राचीन एक गलियारे का पता लगाया है। माना जा रहा है कि पेरू का यह मंदिर विश्व के प्राचीन मंदिरों में से एक है।

दक्षिण अमेरिका के पेरू के चाविन डी हुआनतार पुरातत्व स्थल में एक महत्वपूर्ण खोज हुई है। पुरातत्वविदों को यहां 3000 साल पुराना एक सीलबंद गलियारा मिला है। कोंडोर पक्षी के नाम पर इसे कॉन्डर्स पैसेज वे कहा जाता है।

पुरातत्वविदों की माने तो यह चाविन संस्कृति से संबंधित एक विशाल मंदिर है,और यह गलियारा उसी परिसर की ओर जाता है। सीलबंद गलियारे को लेकर कहा जा रहा है, कि यह संभवतः प्राचीन चाविन संस्कृति से संबंधित एक विशाल मंदिर परिसर के अंदर बाकी कमरों की ओर जाता है।

यह पेरू की राजधानी लीमा से 306 किमी उत्तर-पूर्व में स्थित चाविन डी हुआनतार पुरातत्व स्थल है। ये मानव संस्कृति के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक है, जो लगभग 1,500 से 500 ईसा पूर्व में विकसित हुआ है।

चाविन संस्कृति अपनी उन्नत कला के लिए प्रसिद्ध है,जिनमें आम तौर पर पक्षियों और बिल्लों के चित्र बने होते हैं। ये पेरूवियन एंडीज के उत्तरी हाइलैंड्स में पहले गतिहीन कृषक समुदायों में से एक हैं।

इतिहासविदों की मानें तो ये लोग इंका साम्राज्य के सत्ता में आने के 2,000 साल से भी पहले रहते थे। चाविन की लेटेस्ट खोजें मंदिर के दक्षिणी हिस्से के अंदर एक गलियारे पर केंद्रित हैं।

पुरातत्वविदों के मुताबिक संरचनात्मक कमजोरी के कारण इसे सील कर दिया गया था। लेकिन अब यह चाविन के शुरुआती दिनों की एक झलक पेश करता है।

आखिर पुरातत्वविदों को क्या मिला?

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविद् जॉन रिक ने कहा कि मई 2022 में गलियारे का दरवाजा खोला गया,और करीब 17 किग्रा का एक बड़ा सिरेमिक का टुकड़ा मिला। साथ ही उन्होंने कहा कि इस सिरेमिक टुकड़े पर कोंडोर पक्षी का सिर, और पंख बना हुआ है। गलियारे में एक सिरामिल के कटोरे के साथ इसे पाया गया।

ऐसा माना जाता है कि कोंडोर दुनिया के सबसे बड़े पक्षियों में से एक है। यह प्राचीन एंडियन संस्कृतियों में शक्ति और समृद्धि से जुड़ा हुआ था।

रोबोटिक कैमरों से हुई तलाश

इस विशाल मंदिर परिसर में छतों के साथ-साथ गलियारों का भी जाल है। जिसे हाल के दिनों में ही तलाशा गया है। वहीं पुरातत्वविद रिक ने कहा कि मंदिर परिसर के अधिकांश भागों की खुदाई अभी भी नहीं हो पाई है।

कॉन्डर्स पैसेज वे को सबसे पहले रिक की टीम ने तलाश किया। रोबोटिक कैमरे का इस्तेमाल कर इसकी जांच पड़ताल की गई। ताकि पहले से ही जीर्नशीर्ण ढांचे को और क्षति न पहुंचे। बता दें कि यूनेस्को ने साल 1985 में चाविन डी हुआनतार को विश्व विरासत सूचि में शामिल किया था।

यह भी पढ़ें-पाताललोक में छिपा हुआ था पिरामिडों का शहर! आख़िर क्या रहस्य है इस मायावी शहर का?

आईएन ब्यूरो

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