अफगानिस्तान में इस वक्त स्थिति बेहद ही बिगड़ चुकी है। यहां पर मानवीय संकट इतना ज्यादा गहरा गया है कि लोग दो जून की रोटी के लिए अपने बच्चों तक को बेच दे रहे हैं। तालिबान की जब से सत्ता में वापसी हुई है लोग डर कर जी रहे हैं। एक तो मुल्क में कब और कहां धमाका हो जाए किसी को नहीं पता। तालिबान के आने के बाद से बम धमाकों से न जाने कितने मसूमों की जान चली गई है। इसके साथ ही तालिबान 20 साल वाले रंग में वापस आते दिख रहा है। महिलाओं को लेकर कानून सख्त होते जा रहे हैं। इसके साथ ही अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद से कई आतंकी संगठनों का अड्डा बन गया है। अमेरिका ने कहा है कि, अगर पैदा किया खतरा तो हमारे हमले के लिए तैयार रहना।
अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठन का सफाया करने के लिए अमेरिका एक बार फिर हमले शुरू कर सकता है। लेकिन अमेरिका का असल इरादा चीन और उसके प्रतिष्ठित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को अफगानिस्तान से बाहर करना है। इस बीच, यूएस ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष मार्क मिले ने बुधवार को कहा कि अगर अफगानिस्तान से किसी तरह का कोई खतरा पैदा होता है, तो अमेरिका के पास अफगानिस्तान में स्ट्राइक ऑपरेशन करने की क्षमता है। मिले ने हाउस विनियोग समिति के लिए तैयार गवाही में कहा, हम (अफगानिस्तान में) नजर बनाए रखते हैं और मैं इस बारे में डिटेल्स में नहीं जाने वाला हूं कि ऐसा किस तरीके से किया जा रहा है। अगर हम अफगानिस्तान की भूमि से उत्पन्न होने वाले खतरे को देखते हैं तो हमारे पास स्ट्राइक ऑपरेशन करने की क्षमता है।
वहीं, फोर्ब्स मैगजीन ने दावा किया है कि, तालिबान ने सत्ता में आते ही अमरिका द्वारा छोड़े गए 7 अरब के सैन्य हार्डवेयर पर कब्जा किया है। रक्षा विभाग ने अनुमान लगाया है कि, अमेरिका ने अफगानिस्तान में 7.12 अरब डॉलर के सैन्य उपकरण खरीदे, लेकिन देश से वापसी के दौरान ये पीछे छूट गए। जिसमें, विमान, वाहन, हथियार, गोला-बारूद और संचार हार्डवेयर शामि है। ऐसे में इस बार युद्ध हुआ तो ये काबू से बाहर हो सकता है। वहीं, पाकिस्तान में नई सरकार बन गई जो अमेरिका के फेवर में है। ऐसे में माना जा रहा है कि US पाक में अपना नया बेस बना सकता है। जिसे अफगानिस्तान पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।