America-China: अमेरिका समेत कई देश क्रिसमस का इंतजार करने लगे हैं। लेकिन उन्हें मालूम है इस बार क्रिसमस की छुट्टियां आसान नहीं होने वाली हैं। आर्थिक विशेषज्ञों ने कहा है कि इस बार की सर्दियां तंगी लेकर आने वाली होंगी जिसकी वजह होगा चीन। अमेरिका को चीन के आर्थिक पतन में अब अपना भविष्य नजर आ रहा है। कई विशेषज्ञों के मुताबिक प्रशांत महासागर की तरफ से आ रही बर्बादी अमेरिका में दस्तक दे उससे पहले देश को अपना रास्ता सुधारने की सख्त जरूरत है। हैरिटेज ओआरजी के लिए ईजे एंटोनी और पीटर सेंट ओज की तरफ से लिखे एक आर्टिकल में कहा गया है कि मीडिया में यह बात सामने आ चुकी है कि चीन का 40 सालों से चला आ रहा जो स्वर्ण काल चल रहा था, वह अब खत्म हो चुका है। यह सोचने की जरूरत है कि ऐसा क्यों हो रहा है। ऐसे में इस तबाही से बचना बहुत जरूरी है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर चीन की अर्थव्यवस्था की बुनियाद है। यह दशकों से इसकी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार रहा है और अब खस्ताहाल है। दूसरी ओर खरबों डॉलर वाला रीयल एस्टेट मार्केट भी अस्थिर कर्ज दरों की वजह से ढह रहा है।
5 फीसदी दर भी सपना
सीसीपी ने आर्थिक आंकड़ों को जारी करना भी बंद कर दिया है। साथ ही ऐतिहासिक रूप से युवा बेरोजगारी भी उच्च स्तर है और इस समस्या को भी नजरअंदाज कर दिया जा रहा है। कई विशेषज्ञ इसे राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अक्षमता का नतीजा बता रहे हैं। उनकी पार्टी राजनीतिक रूप से पसंदीदा उद्योगों और सरकार के नियंत्रण वाले उद्यमों के लिए खरबों डॉलर भेजती है। जबकि उन उद्यमियों और बाजारों को दबाने में लगी रही जिन्होंने 40 साल पहले चीन को प्रमुखता से आगे बढ़ाना शुरू किया था।
अमेरिका में भी वही गलतियां
चीन के नागरिक जो पिछले काफी सालों से चमत्कारिक विकास के आदी थे, उन्हें यह आंकड़ा निराश करने वाला है। नागरिकों का भरोसा भी सीसीपी पर से खत्म हो रहा है। वो अब खर्च और निवेश से पीछे हटने लगे हैं। अमेरिकी विशेषज्ञों ने स्थिति को निराशाजनक बताया है। उनका कहना है कि कोई भी चीन की गलतियों को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। वही गलतियां अमेरिका में भी हो रही हैं।
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जिनपिंग के रास्ते पर बाइडन
बाइडन प्रशासन भी जिनपिंग (Jinping) की तरह ही राजनीतिक रूप से पसंदीदा व्यवसायों और वोटिंग ब्लॉकों में खरबों का निवेश कर रहा है। यह बड़े खतरे की घंटी है जिस पर अलर्ट होना होगा। वहीं अर्थव्यवस्था में नई मुद्रा को डालकर इसे को प्रोत्साहित करने की कोशिशें की जा रही हैं। इसका नतीजा है कि महंगाई 40 सालों में उच्च स्तर पर पहुंच गई है। जबकि कमजोर विकास ने अमेरिकियों को निराश कर दिया है। अमेरिका के नागरिकों को यह अहसास हो चुका है कि उनका देश चीन जैसा बनता जा रहा है।