यूक्रेन पर जंग का लगभग एक महीना पूरी होने वाला है। इतने दिनों में रूस ने यूक्रेन के कई शहरों को पूरी तरह से तबाह कर दिया है। रूसी सैनिक लगातार यूक्रेन में आगे बढ़ रही है। अमेरिका नाटो मुह ताकते रह गए और रूस ने हमला कर दिया। जिसके बाद पश्चिमी देशों के सीने में आग लग गई है उनके खिलाफ रूस कैसे चला गया। इस जंग के पीछे अमेरिका और नाटो को बाहुत बड़ा हाथ रहा है। इन्होंने अगर यूक्रेन को नाटो में मिलाने की कोशिश नहीं की होती तो यह जंग कभी होती ही नहीं। अमेरिका भी ऐसा मौका खोज रहा था जिससे रूस पर एक्शन ले सके। ऐसे में यूक्रेन पर हमले के पीछे अमेरिका-नाटो का हाथ रहा है। अब भी ये यूक्रेन को भड़काने का काम कर रहे हैं ताकि रूस के ऊपर और कड़े प्रतिबंध लगा सके। ताकि रूस को आर्थिक रूस से कमजोर किया जा सके। अमेरिका नाटो का यह भी कहना है कि जो भी देश रूस का साथ देगा वो उसे बर्बाद कर देंगे। वो दुनिया को डरा-घमका कर रूस के खिलाफ बोलने के लिए कह रहे हैं। लेकिन, उनके इस झांसे में भारत नहीं और वो ना ही रूस के खिलाफ गया और ना ही पक्ष में। जिसे लेकर अमेरिका नाराज है और राष्ट्रपति जो बाइडन का कहना है कि, यह असमंजस वाली स्थिति है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन पर रूसी हमले को लेकर भारत के रुख पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के खिलाफ समर्थन दिखाने में भारत की स्थिति थोड़ी असमंजस वाली है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के ज्यादातर मित्रों और सहयोगियों ने व्लादिमीर पुतिन के 'आक्रामक रुख' से निपटने में एकजुटता दिखाई है। बाइडन ने सोमवार को मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की एक बैठक में कहा, 'पुतिन को अच्छी तरह जानने के कारण एक चीज को लेकर मैं आश्वस्त हूं कि वह नाटो को विभाजित करने में सक्षम होने का भरोसा कर रहे थे। उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि नाटो सुलझा हुआ रहेगा, पूरी तरह एकजुट रहेगा। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि नाटो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कारण आज के मुकाबले पहले कभी इतिहास में इतना मजबूत या अधिक एकजुट नहीं रहा। उन्होंने कहा, उनके आक्रामक रुख के जवाब में हमने नाटो और प्रशांत क्षेत्र में एकजुटता दिखायी है। भारत के अलावा क्वाड एकजुट है। भारत की स्थिति पुतिन के आक्रमण से निपटने के लिहाज से थोड़ी असमंजस वाली है लेकिन जापान अत्यधिक मजबूत है और ऑस्ट्रेलिया भी।
बता दें कि, जंग के बाद से ही अमेरिका लगातार भारत को रूस के खिलाफ बोलने के लिए कहा रहा है। पिछले ही महीने जो बाइडन ने कहा था कि, भारत और अमेरिका, यूक्रेन के खिलाफ रूस के हमले के मुद्दे पर अपने मतभेदों को हल करने की कोशिश कर रहे हैं। एक बैठक में उन्होंने कहा कि, हमने उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) और प्रशांत क्षेत्र में एकजुटता दिखायी और आपने रूसी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने और प्रतिबंध लगाने में हमारी मदद के लिए काफी कुछ किया। आपने जो कुछ भी किया, वह वाकई महत्वपूर्ण है।' बता दें कि भारत के अलावा क्वाड संगठन के सभी देशों ने एक सुर में यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा की है और प्रतिबंधों का भी ऐलान किया है। लेकिन भारत इस मसले पर न्यूट्रल ही रहा है और उसने न तो रूस की खुलकर निंदा की है और न ही उसका समर्थन किया है।