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लालची यूक्रेन बना बलि का बकरा, पर्दे के पीछे बाइडन और पुतिन की ईलू-ईलू

पर्दे के पीछे अमेरिका और रूस में क्या चल रहा हैय़

क्या यूक्रेन में अमेरिका-रूस (America-Russia) नूरा कुश्ती खेल रहे हैं? क्या एक तरफ तेल का खेल तो दूसरी ओर हथियारों का मेला लगा हुआ है? क्या अमेरिका-रूस (America-Russia) की इस ईलू-ईलू में यूक्रेन को जानबूझकर बलि का बकरा और यूरोप को जंग का अखाड़ा बना दिया गया?

ऐसे कयास हम लगा नहीं रहे बल्कि रशियन टीवी की वेबसाइट आरटी डॉट काम ने खुलासा किया है कि अमेरिका-रूस (America-Russia) में ईलू-ईलू चल रहा है। रूस के रक्षामंत्री सरगेई शोइगू और अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से सीधे संपर्क में हैं। दोनों देशों के रक्षामंत्री अक्सर फोन पर बातचीत करते रहते हैं। यूक्रेन पर मिलिट्री एक्शन के कुछ दिन बाद अमेरिका और रूस ने खुले तौर पर एक दूसरे से बात की थी। एक दूसरे को धमकी और चेतावनी भी दी थी। इसी बीच पता नहीं क्या हुआ कि खुली बातचीत गोपनीय तौर-तरीकों पर उतर आई। खबरें ऐसी भी आई कि अमेरिका गुपचुप तौर पर रूस से तेल और गैस खरीद रहा है। रूस भी अमेरिका के साथ अनौपचारिक रास्तों से व्यापार कर रहा था। कहने के लिए अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगाए, प्रमुख लोगों के वीजा बैन कर दिए, लेकिन बैक डोर से तेल-गैस खरीदता रहा।

वहीं यूरोप सहित दुनिया के तमाम देश यूक्रेन-रूस की जंग के नतीजों का शिकार होते रहे। महंगाई से जर्मनी और फ्रांस ही नहीं ब्रिटेन का बाजा बज गया। ब्रिटेन के हालात को इतने खराब हो गए कि जॉनसन के बाद प्रधानमंत्री बनी लिज ट्रस को 7 हफ्तों के भीतर ही इस्तीफा देना पड़ गया। इधर, यूक्रेन ने अमेरिका के बहकावे में आकर रूस से ऐसी दुश्मनी ठान ली कि वो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। यूक्रेन सीधे तौर पर तो रूस को जवाब देने में सक्षम नहीं है इसलिए उसने क्रीमिया को जोड़ने वाले ब्रिज पर आतंकी हमला कर डाला। इसका नतीजा यूक्रेन को बर्बादी और तबाही के अमिट निशानों पर तक ले जा चुकी है।

आरटी डॉट काम पर प्रकाशित समाचार के मुताबिक रूस और अमेरिका के बीच संबंधों का खुलासा भी खुद रशियन मिलिट्री सोर्सेस ने किया है। एक संक्षिप्त नोट में कहा गया है कि दोनों देशों के रक्षामंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और यूक्रेन युद्ध को लेकर उपजी परिस्थितियों पर फोन आपसी विचार-विमर्श किया। ऐसा कहा जाता है कि दोनों रक्षामंत्रियों ने लगभग एक घण्टे तक बातचीत की लेकिन किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे।

हालांकि, कुछ मीडिया एजेंसियों ने कहा है कि अमेरिका और रूस के बीच मई के महीने में आखिरी बार फोन पर बातचीत हुई थी। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि अगर अमेरिका और रूस के बीच जब तक बातचीत का सिलसिला कायम है तब तक दुनिया परमाणु विभीषिका से दूर है।