भारत को दुनिया आज जिस नजर से देखती है उसमें सबसे बड़ा योगदान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रहा है। उन्होंने भारत को आज विश्व में उस स्थान पर पहुंचा दिया है जहां, हर एक गंभीर मुद्दे पर भारत से राय लिया जाता है। पीएम मोदी के कामों को न सिर्फ देश बल्कि दुनिया भी सलाम ठोकती है। चाहे अमेरिका हो या फिर जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस आज हर एक देश पीएम मोदी के साथ जुड़ना चाहता है। यही वजह है कि, यूक्रेन जंग रुकवाने के लिए जो बाइडन सहित दुनिया के तमाम बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास आ रहे हैं। क्योंकि, काफी लंबे समय से भारत और रूस के बीच गहरी दोस्ती रही है और दुनिया आग्रह कर रही है की पीएम मोदी सिर्फ पुतिन को मना सकते हैं। इन सब के बीच अमेरिका ने इस बात का खुलासा किया है कि, भारत का करीबी दोस्त रूस कैसे बना।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रूसी ऊर्जा खरीद में वृद्धि के खिलाफ सहयोगियों और भागीदारों को आगाह किया। लेकिन इस दौरान उन्होंने यूक्रेन युद्ध पर भारत की स्थिति को लेकर भी समझ दिखाई। भारत और अमेरिका के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता के समापन के बाद एक संयुक्त मीडिया ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए, ब्लिंकन ने कहा कि मॉस्को के साथ नई दिल्ली के संबंध अब से नहीं बल्कि दशकों से हैं। उन्होंने कहा कि, रूस के साथ भारत के संबंध दशकों में विकसित हुए हैं। वो संबंध ऐसे समय में विकसित हुए जब अमेरिका दक्षिण एशियाई देश (भारत) का भागीदार बनने में सक्षम नहीं था।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, वक्त बदल गया है और अमेरिका अब कॉमर्स, टेक्नोलॉजी, शिक्षा और सुरक्षा सहित लगभग हर क्षेत्र में भारत के साथ पसंद का भागीदार बनने में सक्षम और इच्छुक है। और यही आज की बातचीत का मुद्दा था। रूस से तेल खरीद और प्रतिबंधों पर उन्होंने कहा कि, ऊर्चा खरीद में गिरावट देखी गई है। उन्होंने कहा, बेशक, हम देशों को रूस से अतिरिक्त ऊर्जा आपूर्ति नहीं खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। लेकिन हर देश अलग-अलग स्थित है, अलग-अलग जरूरतें, आवश्यकताएं हैं, लेकिन हम सहयोगियों और भागीदारों को रूसी ऊर्जा की खरीद में वृद्धि नहीं करने के लिए कह रहे हैं।