यूक्रेन पर जब से रूस ने हमला बोला है तब से पूरा पश्चिमी देश दुनिया को पुतिन के खिलाफ एकजुट करने में लगा हुए है। अमेरिका और नाटो का तो यह तक कहना है कि जो भी रूस की मदद करेगा वो उसे बरबाद कर देंगे। पश्चिमी देशों की चाल ने अपने फायदे के लिए यूक्रेन को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। जंग की आड़ में वो अपना फायदा देख रहे हैं। रूस को वो काफी समय से काबू करने में लगे हुए थे। रूस को आर्थिक झटका देकर वो तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन, पुतिन अपनी तैयारी पहले से कर के आए हुए हैं। ऐसे में भारत और चीन का क्या स्टैंड होगा इसपर दुनिया की नजर थी और है। दोनों ही देशों ने जब भी रूस के खिलाफ यूएन में वोटिंग हुई तो अपने आपको अलग कर लिया। अमेरिका ने अब भारत से कहा है कि, अब अगर चीन भारत पर हमला करता है तो उसे बचाने रूस नहीं आने वाला है।
दरअसल, रूस पर अमेरिका के साथ दूसरे देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों का कुछ खास असर होता नहीं दिख रहा है. अमेरिका की कोशिश है कि रूस के साथ व्यापार करने के लिए कोई देश आगे न आए। वहीं, रूस के खिलाफ अमेरिका की नीति तैयार करने में अहम रोल अदा करने वाले भारतवीं डिप्टी एनएसए दलीप सिंह 2दिन के भारत दौरे पर हैं। यहां उन्होंने भारत को ही चेतावनी दे दी। उन्होंने कहा कि, भारत इस गलतफहमी में न रहे कि अगर चीन ने हमला किया तो उसे अब रूस बचाने आएगा। ऐसा बिल्कुल नहीं होने वाला है।
दलीप सिंह ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि रूस आपकी रक्षा के लिए नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि भारत को यह नहीं सोचना चाहिए अगर चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करता है तो रूस उनको बचाने आएगा। क्योंकि चीन और रूस में अब नो लिमिट्स पार्टनरशिप है। भारतीय वार्ताकारों के साथ अपनी व्यस्तताओं के बीच पत्रकारों के एक छोटे समूह के साथ बातचीत के दौरान, दलीप सिंह ने यूक्रेन के खिलाफ पुतिन के अनावश्यक युद्ध" के लिए रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को वापस लेने की कोशिश करने वाले किसी भी देश को अंजाम भुगतने की चेतावनी दी। हालांकि, उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत जैसे मित्र 'रेड लाइन' निर्धारित नहीं करते हैं और नई दिल्ली में उनकी चर्चा वैश्विक शांति और सुरक्षा को रेखांकित करने वाले मूल सिद्धांतों की रक्षा के बारे में एक ईमानदार बातचीत की तरह है।