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इस देश ने Afghanistan के लिए खोली अपनी तिजोरी- करेगा 14.4 करोड़ डॉलर की मदद- लेकिन तालिबानियों के हाथ न लगेगा एक पैसा

इस देश ने Afghanistan के लिए खोली अपनी तिजोरी

तालिबानियों ने अफगानिस्तान पर कब्जा तो कर लिया है लेकिन जनता का वो हाल कर दिया है जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा नहीं होगा। तालिबानियों के आने के बाद से देश में भुखमरी बढ़ गई है। एक ओर तालिबान साफ-सुथरा दिखा रहा है कि सब कुछ अफगानिस्तान में सही है लेकिन इस वक्त आलम यह है कि अफगानियों की जिंदगी नर्क बन गई है, देश की आधी आबाधी भुखमरी की शिकार हो गई है, यहां तक की लोग पैसों के लिए अपने बच्चों को बेच दे रहे हैं। ऐसे में अब एक देश अफगानिस्तान के लोगों की मदद के लिए आगे आया है और 14.4 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद की घोषणा की है। लेकिन इसमें से एक पैसा भी तालिबानियों के हाथ नहीं लगेगा।

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अमेरिका करेगा 14.4 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद

दरअसल, यह कोई और नहीं बल्कि अमेरिका ने अफगान की जनता के मदद का ऐलान किया है। अमेरिका लोगों की मदद के लिए 14.4 करोड़ डॉलर की मदद देगा। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बताया कि, सहायता स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय और गैर-सरकारी मानवीय संगठनों को सीधे प्रदान की जाएगी, जिनमें शरणार्थियों से जुड़ा संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), अंतरराष्ट्रीय आव्रजन संगठन (आईओएम) और विश्व स्वास्थ्य संगठन शामिल हैं।

इसके आगे उन्होंने कहा कि, इस कोष के जरिए क्षेत्र के 1.8 करोड़ से अधिक जरूरतमंद अफगानिस्तान के लोगों को सीधे मदद मुहैया कराई जाएगी, जिसमें पड़ोसी देशों में पनाह लेने वाले अफगानिस्तान के शरणार्थी भी शामलि हैं। ब्लिंकन ने कहा कि इसके साथ ही, अफगानिस्तान में और इस क्षेत्र में अफगान शरणार्थियों के लिए कुल अमेरिकी मानवीय सहायता 2021 में बड़कर लगभग 47.4 करोड़ डॉलर हो गई है, जो किसी भी राष्ट्रा द्वारा दी गई सबसे अधिक आर्थिक मदद है।

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तालिबान के हाथ नहीं लगेगा एक पैसा

विदेश मंत्री ने कहा, यह मदद हमारे भागीदारों को स्वास्थ्य देखभाल की कमी, कोविड-19, सूखा, कुपोषण और आने वाले सर्दी के मौमस में बढ़ती मानवीय जरूरतों के मद्देनजर जरूरी जीवन सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा, आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल, सर्दी के समान से जुड़ी सहायता, अन्य साजो-समान और आपातकालीन खाद्य संबंधी सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाएगी। इसके आगे उन्होंने कहा कि, इसका सीधा लाभ अफगानिस्तान के लोगों को होगा ना कि तालिबान को। तालिबान को एक रुपए भी हाथ नहीं लगेंगे।