अंतर्राष्ट्रीय

America में एक भारतीय को हिंदी में बात करने पर नौकरी से निकाला, कंपनी और अमेरिकी रक्षा मंत्री पर केस

America में रहने वाले एक भारतीय अमेरिकी इंडीनियर अनिल वार्ष्णेय को हिन्दी में बात करने के कारण कंपनी ने नौकरी से निकाल दिया है। जिसके बाद 78 वर्षीय अनील वार्ष्णेय ने कंपनी और अमेरिका रे रक्षा मंत्री पर केस दर्ज करवाया है।

78 वर्षीय एक भारतीय-अमेरिकी इंजीनियर ने दावा किया है कि पिछले साल एक रिश्तेदार से फोन पर हिंदी में बात करने के कारण उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अनिल वार्ष्णेय ने मिसाइल डिफेंस कांट्रेक्टर पार्सन्स कॉर्पोरेशन और America के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन के खिलाफ कंपनी पर भेदभावपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया है।

वार्ष्णेय के मुताबिक 26 सितंबर, 2022 को भारत में अपने बहनोई के साथ लगभग दो मिनट तक टेलीफोन पर एक श्वेत सहकर्मी ने उन्हें हिंदी में बात करते हुए सुना, जिसके बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया।

मुकदमे में दावा किया गया कि दूसरे कर्मचारियों ने ‘झूठी’ रिपोर्ट की कि वार्ष्णेय ने गोपनीय जानकारी का खुलासा कर सुरक्षा के नियमों का उल्लंघन किया है। वार्ष्णेय ने अपने मुकदमे में कहा कि कॉल पर उन्होंने कोई गोपनीय या वर्गीकृत जानकारी नहीं दी थी।

मुकदमे में क्या कहा गया

दायर मुकदमे में कहा गया है, ‘कॉल के प्रतिबंधित होने की कोई पॉलिसी नहीं थी। उन्होंने बिना जांच किए गंभीर सुरक्षा उल्लंघन का आरोप लगाते हुए वार्ष्णेय को बर्खास्त कर दिया।’ मुकदमे में कहा गया, ‘इतना ही नहीं, कंपनी ने वार्ष्णेय को भविष्य के काम से ब्लैकलिस्ट कर दिया।

BHU से पढ़े हैं वार्ष्णेय

24 जुलाई को अदालत में दायर जवाब में पार्सन्स ने अपनी ओर से किसी भी गलत काम से इनकार किया। मुकदमे के अनुसार, वार्ष्णेय के पास बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री है, और 1968 में वह अमेरिका चले गए। उन्होंने जुलाई 2011 से अक्टूबर 2022 तक पार्सन्स के हंट्सविल कार्यालय (America)में काम किया और उन्हें सिस्टम इंजीनियरिंग में ‘कांट्रेक्टर ऑफ दी ईयर’ के रूप में सम्मानित किया गया।

वार्ष्णेय जमीन-आधारित मिसाइल रक्षा कार्यक्रम पर 5 मिलियन डॉलर की बचत के लिए एमडीए अनुशंसा पत्र प्राप्त हुआ। एएल डॉट कॉम के अनुसार, वार्ष्णेय ने मुकदमा में पूर्व स्थिति के बराबर पद पर बहाली और फाइल में किसी भी अनुशासनात्मक रिकॉर्ड को रद्द करने  की मांग की है।

वार्ष्णेय ने मुकदमे में कहा है कि अगर नौकरी में बहाल नहीं किया जाता है, तो वह ‘लाभ सहित अग्रिम वेतन’ और ‘मानसिक पीड़ा और भावनात्मक परेशानी’ के लिए क्षति के साथ ही वकील की फीस चाहते हैं।

यह भी पढ़ें-Shahbaz Sharif ने भारत के आगे टेके घुटने! कहा -‘अब नहीं लड़ सकते कोई जंग, करना चाहते हैं बातचीत…’

आईएन ब्यूरो

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