अफगान शांति वार्ता शुरू होने से पहले हुआ खूनखराबा अशुभ संकेत

कतर में संभवत 20 अगस्त  से शुरू होने जा रही अंतर-अफगान वार्ता से पहले अफगानिस्तान में हिंसा की बढ़ती घटनाएं शांति की उम्मीदों पर खतरे की आशंका के संकेत के तौर पर देखी जा रही हैं। कतर में तालिबान का एक राजनीतिक कार्यालय है और कई अफगान नेताओं को उम्मीद है कि वार्ता  बिना किसी अवरोध के सफलता से शुरू हो सकती है।

जबकि सेना के अधिकारियों ने रविवार को ही यह जानकारी दी कि अफगानिस्तान के दो प्रांतों में हुई झड़पों में कम से कम 21 तालिबानी आतंकवादी मारे गए और सात अन्य घायल हो गए। ‘अफगान नेशनल आर्मी स्पेशल ऑपरेशंस कोर’ ने एक बयान में कहा कि बादगीस प्रांत में कादिस जिले के कारचागी गांव में जमीनी सैन्य बलों की सहायता के लिए किए गए हवाई हमले में 12 आतंकवादी मारे गए और एक घायल हो गया।

पूर्वी गजनी प्रांत में उस समय नौ तालिबानी आतंकवादी मारे गए और छह अन्य घायल हो गए, जब सुरक्षा बलों ने अंडार जिले के चाहर देवार इलाके में उनके ठिकानों पर हमला किया। अफगान सुरक्षा बलों का निशाना बने सभी आतंकवादी अपने-अपने क्षेत्र में सुरक्षा चौकियों पर हमला करने की तैयारी कर रहे थे। तालिबान समूह द्वारा इन खबरों पर अभी कोई टिप्पणी किया जाना बाकी है।

अमेरिकी शांति समझौते का उद्देश्य अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों से लड़ने के लिए तालिबान को शामिल करना है। तालिबान और आईएस दुश्मन हैं। कतर में फरवरी में हुए शांति समझौते ने अमेरिका और नाटो बलों के अफगानिस्तान से हटने के लिए और तालिबान और अफगान सरकार के लिए सीधी बातचीत शुरू करने का मार्ग प्रशस्त किया। अफगान सरकार ने शुक्रवार को कहा कि उसने दोनों पक्षों के बीच सीधी बातचीत से पहले अंतिम 400 तालिबान कैदियों में से पहली किश्त के तौर पर 80 तालिबान कैदियों को रिहा कर दिया था।

दोनों तरफ के कैदियों की रिहाई अमेरिका और तालिबान के बीच फरवरी में हुए समझौते का हिस्सा हैं। यह समझौता अंतर-अफगान वार्ता से पहले सद्भावना के रूप में अफगान सरकार को  5,000 तालिबान की रिहाई और विद्रोही तालिबान समूह को 1,000 सरकारी और सैन्य कर्मियों को रिहा करने के लिए कहता है।

इससे पहले अफगानिस्तान की शांति वार्ता टीम की एक महिला सदस्य की हत्या का प्रयास किया गया, जिसमें वह घायल हो गई। एक पूर्व सांसद फ़ाविया कोफ़ी पर शुक्रवार दोपहर को राजधानी काबुल के पास उत्तरी प्रांत परवान की यात्रा से लौटते समय हमला किया गया था।

कोफी तालिबान के साथ आगामी शांति वार्ता में अफगान सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए तय 21 सदस्यीय टीम का हिस्सा हैं। कोफी एक महिला अधिकार कार्यकर्ता भी हैं, जो मुखर तालिबान आलोचक रही हैं। उसके फेसबुक पेज पर एक संदेश में कहा गया है कि उसके दाहिने हाथ में घाव है। "शुक्र है कि जान को खतरा नहीं है।"

तालिबान और इस्लामिक स्टेट समूह से संबद्ध आतंकवादी अफगान सरकार के खिलाफ हमले करना जारी रखे हुए हैं, लेकिन तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मौजिद ने इन हमलों में शामिल होने से इनकार किया है।

दोहा शांति समझौते ने अमेरिका और नाटो बलों के अफगानिस्तान से हटने और तालिबान एवं अफगान सरकार के लिए सीधी बातचीत शुरू करने का मार्ग प्रशस्त किया। जिसकी उम्मीद थोड़ी धुंधली पड़ती जा रही है। क्योंकि तालिबान के लड़ाके केवल अमेरिकी और नाटो सेनाओं की वापसी का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद पाकिस्तान के समर्थन से उनको सत्ता पर कब्जा कर लेने की पूरी उम्मीद है।

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डॉ. शफी अयूब खान

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