Arunachal Pradesh China PLA Deployment: भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य में तवांग सीमा पर झड़प के बाद चीन एक बार फिर से अपनी नई चाल चलता नजर आ रहा है। तवांग में झड़प वाले स्थान से मात्र 74 किमी की दूरी पर चीन ने पड़े पैमाने पर अपने सैनिकों (Arunachal Pradesh China PLA Deployment) की तैनाती की है। इसका खुलासा सैटलाइट तस्वीरों में हुआ है। तस्वीरों से पता चला है कि, चीन अपने इस इलाके में विशाल सैन्य शिविर (Arunachal Pradesh China PLA Deployment) भी बना लिया है। ये सैन्य शिविर चीन के हाल ही में बनाए गए लहूंचे एयरपोर्ट के पास में स्थित है। जिस जगह पर चीन ने सैन्य शिविर बनाया है वो खेती करने वाला इलाका था। चीन की ये नई चाल बेहद की खतरनाक है। चीन ये ऐसे समय में कर रहा है जब उसकी अन्य कई देशों के साथ सीमा विवाद चल रहा है। साथ ही चीन में भारी कोरोना संकट आया हुआ है। एक ओर वो भारत के साथ उलझ रहा है तो वहीं, वो दूसरी ओर ताइवान पर कब्जा करने के लिए अपनी रणनीति तेज कर दिया है। दूसरों की जमीनों को हड़पने की चीन को इस बार भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
तस्वीरों में दिखा चीन का सैन्य शिविर
जो सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई हैं उनके जरिए पता चला है कि, चीनी सेना पीएलए ने दिसंबर महीने में इस सैन्य शिविर को बनाया है। इससे पहले यहां पर खेती होती थी। चीन और भारत की सेना के बीच 9 दिसंबर जो झड़प हुई थी। चीन के करीब 300 सैनिक तवांग के यांग्त्से में भारतीय सैन्य चैकी पर कब्जा करने की कोशिश की थी। इस झड़प में भारतीय जवानों ने जोरदार पलटवार कर चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया था।
चीन की सलामी स्लाइसिंग रणनीति का हिस्सा- भारत को अलर्ट रहने की जरूरत
मीडिया में आ रही खबरों की माने तो, विशेषज्ञों ने कहा है कि, आने वाले समय में चीन फिर ऐसा दुस्साहस कर सकता है औऱ भारत को इसे लेकर अभी से लगातार अलर्ट रहने के जरूरत है। इसके साथ ही जानकारों का कहना है कि, चीन की सलामी स्लाइसिंग रणनीति का हिस्सा है। चीन भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश करता है या विवादित क्षेत्र को अपना बता देता है जिसे लंबे समय से नो मेन्स लैंड माना जाता रहा है। साल 2020 में गलवान हिंसा के बाद अब भारत और चीन के बीच अक्सर झड़प होती रहती है। साल 2020 के शुरुआत में चीन ने तिब्बत में एक व्यापक सैन्य अभ्यास किया था। चीन ने दो डिविजन सेना को तैनात किया और भारतीय इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश की। बाद में गलवान हिंसा हुई जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए। चीन के भी 40 के करीब जवान मारे गए थे। इसके बाद से लेकर अब तक दोनों ही देशों के करीब 60 हजार सैनिक पूरी तरह से हथियारों से लैस होकर एलएसी पर आमने सामने खड़े हैं।
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