क्या पाकिेस्तान में अगली सरकार आने से पहले बलूचिस्तान आजाद होने वाला है? क्या पाकिस्तान के बंटवारे को पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों ने सिद्धांततः स्वीकार कर लिया है? जिसने भी क्वैटा रैली को ध्यान से सुना और देखा होगा वो यही कहेगा 'हां! पाकिस्तान एक बार फिर टूट रहा है। बलूचिस्तान आजाद होने जा रहा है।'
यह इंडिया नैरेटिव का फलसफा नहीं बल्कि पाकिस्तान की 20 सियासी पार्टियों को मिलाकर बनाए गए पीडीएम का नैरेटिव है। क्वैटा के पीडीएम के जलसे में जमात-ए-उलेमा-ए-पाकिस्तान के नेता शाह ओवैस नूरानी ने अय्यूब स्टेडियम में सभी पार्टियों के सरवराओं और लाखों-लाख लोगों के बीच कहा कि बलूचिस्तान के साथ इंसाफ उस समय तक नहीं मिल सकता है जब तक वो सेपरेट स्टेट (आजाद रियासत) नहीं बन जाता। जमात-ए-उलेमा पाकिस्तान का पाकिस्तान में भारी दबदबा है। जमात के मौलानाओं (नेताओं) की एक आवाज पर हजारों-हजार लोग घर-बार छोड़कर सड़कों पर आ जाते हैं और तब तक वापस नहीं जाते जब तक मौलाना उनसे लौटने को न कहें। क्वैटा मौजूदा बलूचिस्तान की राजधानी है। क्वैटा में जमात के मौलाना ओवैस नूरानी के इस बयान के कई मायने लगाए जा रहे हैं। पाकिस्तान सरकार ने मौलाना शाह ओवैस नूरानी के बयान पर तुरंत सेंसर लगा दिया। पाकिस्तान की अधिकाशं मीडिया ने डर के मारे शाह ओवेस नूरानी की स्पीच को ही कवरेज से उड़ा दिया।
अगर बलूचिस्तान के चीफ मिनिस्टर जाम कमाल खान अलयानी ने ट्वीट न किया होता तो बाहर की दुनिया को पता भी नहीं चलता कि पीडीएम की रैली में बलूचिस्तान की आजादी की आवाज भी उठी थी। जमा कमाल खान अलयानी कोरोना से पीड़ित हैं और आज-कल क्वारंटीन हैं। उन्होंने बीती ओवैस नूरानी के बलूचिस्तान को सेपरेट स्टेट बनाने वाले बयान पर ऐतराज जताया। अलयानी ने यह भी लिखा कि पीडीएम किसका नैरेटिव क्रिएट कर रही है…यह बीजेपी का जलसा है या पीडीएम का?
पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर शाह ओवैस नूरानी के इस बयान को लेकर बहस छिड़ चुकी है। सोशल मीडिया पर डाले गए एक वीडियो में ओवैस नूरानी साफ-साफ शब्दों में कह रहे हैं। बलूचिस्तान को डाकू-लुटेरे और गासित इन लोगों से निजात दिलानी है, हम चाहते हैं बलूचिस्तान एक आजाद रियासत हो। ऐसा भी बताया जा रहा है कि शाह ओवेस पर अपना बयान वापस लेने के लिए भारी दबाव पड़ रहा है, लेकिन पीडीएम के सररवाकार मौलाना फजलुर्रहमान ने  चुप्पी साध ली है। मरियम और विलावल ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी फौज के अत्याचारों पर खुल कर बोला था। मरियम ने बलूचिस्तान में लगातार गायब हो रहे लोगों के परिजनों को होने वाली पीड़ा का जिक्र कर बलूचिस्तानियों के मर्म को छूने की कोशिश की थी।
क्वैटा की रैली के बाद नतीजा कुछ भी हो लेकिन एक बात साफ हो चुकी है कि केवल शाह ओवैस नूरानी ही नहीं पाकिस्तान की विपक्षी जमातें (पंजाब को छोड़कर) बलूचिस्तान की आजादी का समर्थन करती हैं।.
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